लेखक के विषय में
बचपन से प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा में गहन रुचि रखने वाले डॉ. एयू रहमान (पोस्ट ग्रेजूएट, आयुर्वेदाचार्य, एनडी, डिप्लोमा इन योग एजुकेशन, सीनियर योग शिक्षक) 1976 में प्रख्यात प्राकृतिक चिकित्सा डॉ विट्ठलदास मोदी के सम्पर्क में आए। तत्पश्चात राजकीय यौगिक चिकित्सा एवं अनुसंधान क्रेन्द्र जयपुर में स्वामी आनन्दानद की सान्निध्यता में सहायक अनुसंधान अधिकारी के रूपमें अपनी सेवाएँ प्रदानकी 1985 से 2000 पक प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग के विश्वप्रसिद्ध सस्थान, जिन्दल ऑफ थी एण्ड यौगिक साइसेज बैंगलोर के सस्थापक डॉएस इंस्टीट्यूट ऑफ नैचुरोपैथी एण्ड यौगिक साइंसेज, बैंगलोर के संस्थापक डॉ. एस.आर. जिन्दल, (जिनके अथक परिश्रम से आज प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विश्व में सम्मानजनक स्थिति में पहुँच पाया है) के निर्देशन में चीफ योग आफिसर एवं अनुसंधान अधिकारी के रूप में देश-विदेश से चिकित्सा लाभ हेतु आये लाखों लोगों को अपनी सेवाएँ प्रदान की। आपके अनेकों शोध-पत्र राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं। आप फैलो इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ आयुर्वेद, योग निष्णात, योग श्री तथा इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरौपैथी एवं यौगिक साइंस, बैंगलोर, द्वारा योगाचार्य के सम्मान से अलंकृत किये जा चुके हैं।
विभिन्न टी.वी. चैनलों पर आपके व्याख्यान प्रसारित होते रहते हैं। आप स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली, की गवर्निंग बॉडी एवं स्टैण्डिंग फाइनेन्स कमेंटी तथा मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग। की जनरल बॉडी के भी सदस्य के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं ।
अगस्त, 2000 से उत्तर भारत के प्रख्यात कैंसर चिकित्सालय, भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र (संचालित केजी कोठारी मैमोरियल ट्रस्ट), जयपुर मैं मुख्य प्रशासक, सीनियर कन्सलटेन्ट वैकल्पिक चिकित्सा) के पद पर अपनी सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं। इनके जीवन का उद्देश्य प्रशासनिक एवं चिकित्सकीय दायित्व के प्रति समर्पण एवं सामान्य जनमानस तक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के संदेश को पहुँचाना है ।
आज इस मुकाम तक पहुँचने का सारा श्रेय डी रहमान अपने स्वर्गीय पिता मुहम्मद छुपा एवं मोहतरमा माँ साहिबा की बेलौस दुआओं को ही देते हैं ।
1980 के दशक में सन्तोकबा दुर्लभजी चिकित्सालय के संस्थापक श्री खेल शंकर दुर्लभजी, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक राजस्थान श्री रामसिंह तथा स्वयं मैंने भी डॉ रहमान से योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के गुर सीखे थे ।
प्रस्तावना
सहज स्वाभाविक जीवन-शैली एवं योग पथ। प्राकृतिक चिकित्सा एक-दूसरे के पूरक हैं शारीरिक स्वास्थ्य प्रकृति के नियमों का कड़ाई से पालन करने से प्राप्त होता है मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य सदाचार, सद्विचार तथा सतृप्त मन दाल प्राप्तकिया शा सकता है।
हम सभी जानते है कि प्रकृति के नियमों के विपरीत आचरण करने से हम बीमार हो जाते हें, इसलिये यह आवश्यक है कि प्रकृति के नियमों के अनुसार आचरण करे और स्वस्थ रहे।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा हास रोगी का उपचार केवल लक्षणों के आधार पर नही किया जाता बल्कि शरीर से विजातीय द्रव्यों को निकालकर रोग के कारण को दूर किया जाता है यह चिकित्सा पद्धति शरीर, मन तथा आत्मा के समन्वय को सर्वोंच्च प्राथमिकता देती है आहार-विहार एवं व्यवहार पर सयम का दायित्व शरीर में स्थित मिट्टी, पानी, हवा, अग्नि और आकाश के संतुलित अनुपात पर निर्भर करता है। शरीर में इरा संतुलन को बनाये रखने की कला का ज्ञान ही योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा है।
इस चिकित्सा पद्धति में एक ओर जहाँ यौगिक क्रियाएँ, योगाभ्यास, प्राणायाम, शिथिलीकरण ध्यान की प्रक्रियाओ का ज्ञान कसवा जाता है वहीं दूसरी ओर उपवास, रसाहार फलाहार, कल्प, अपक्वाहार, संतुलित आहार, अंकुरित अन्त, स्वाभाविक जीवन एवं विश्राम से साक्षात्कार कराया जाता है । एनिमा, मिट्टी की पट्टी, कटि स्नान रीढ़ स्नान, मिट्टी स्नान, स्टीम, छाती, पेट, गले आदि की पट्टियाँ एवं मालिश आदि प्राकृतिक चिकित्साओं का लाभ भी साधक आवश्यकतानुसार प्रान्त करते है।
कैंसर की रोकथाम के लिए आज लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है, इससे इसके फैलाव पर अंकुश लगता है जब लोगों को कैंसर से होने वाली वजहों की जानकारी होगी तो आमजन सामान्य नागरिक उसके प्रति सचेत होगे लोगों में जागरूकता इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया के द्रास अधिक सुगमता से पहुँचाई जा सकती है।
इस छोटीसी पुस्तक के माध्यम से कैंसर की चिकित्सा एवं कैंसर से बचने के उपाय, कैंसर रोधक भोजन की जानकारी प्रस्तुत करने का प्रयास मात्र किया गया है । कैंसरग्रस्त रोगी को हाईफाइबर युक्त आहार, अल्फर एवं बीटा कैरोटीन, सीटरस फ्रूटस, विटामिन
'ए', 'बी' एव 'ई' लेने की सलाह दी जाती है । यहाँ तक कि प्रचुर मात्रा में पानी एवं तरल पदार्थ भी कार्सिनोजेन्स को शरीर से निकालने में सहायता प्रदान करता है ।
भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसधान केन्द्र, जयपुर उत्तर भारत का सर्व सुविधाओं से युक्त एकमात्र ऐसा कैंसर चिकित्सालय है, जहाँ एक्? ही छत के नीचे कैंसर संबंधी सभी जाँच तथा चिकित्सा की सभी विधाएँ (मेडिकल ऑन्क्रॉलोजी, सर्जीकल ऑन्क्रॉलोजी एवं रेडियेशन ऑन्क्रॉलोजी) उपलब्ध है । यहाँ पर अनुभवी एवं योग्य चिकित्सक न केवल अपनी सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं बल्कि विदेशों में भी अपनी दक्षता के लिए जाने जाते हैं ।
चिकित्सालय में अत्यन्त आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त कैंसर रोगियों को राहत पहुँचाने के लिये योग एव प्राकृतिक चिक्तिसा का स्वतत्र विभाग प्रारम्भ करने की प्रेरणा संस्था के अध्यक्ष श्री नवरतन कोठारी द्वारा प्रदान किये जाने के लिए मैं कृतज्ञ हूँ । कैंसर केयर (चिकित्सालय मे गरीब व बेसहारा रोगियों को मानसिक व आर्थिक सम्बल प्रदान करने वाली एकमात्र संस्था) की अध्यक्षा श्रीमती अनिल। जी कोठारी का भी मैं बेहद शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने कैंसर रोगियो को वैकल्पिक चिकित्सा हेतु न केवल ज्वारों का रस आदि उपलब्ध कराने का प्रबन्ध किया है बाल्कि उन्हें इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
सस्था के अधिशाषी निदेशक डॉ. (कर्नल) आर. के. चतुर्वेदी एवं सभी कन्सलटेन्ट का भरपूर सहयोग इस पद्धति को रोगियों तक पहुँचाने में बेहद मददगार साबित हो रहा है ।
पुस्तक को पाठको तक पहुँचाने में मेरे पीरो-मुर्शिद हजरत मौलाना इब्राहिम दामत बरकातोहू पाण्डूर जानशीन फकीहुलउम्मत हजरत मौलाना मुफ्ती महमूद हसन गंगोही रहमतुल्त्नाह अलैह का आशीष, प्रेरणा एवं प्रोत्साहन है । हजरत मौलाना महमूद हसन, सस्थापक दारूलअलूम जामिया अरबिया बरकातुल इस्लाम खीरवा (सीकर) की दुआएँ भी लगातार शामिले हाल रही हैं ।
दो शब्द
भारत में कैंसर प्रतिवर्ष लगभग 15 प्रतिशत की गति से बढ रहा है । इस रोग से हृदय रोग के बाद सर्वाधिक लोगों की मृत्यु हो रही है । हर साल भारी संख्या में लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण होती है तथा प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक नये लोग कैंसर के शिकार होते हैं । जहाँ महिलायें सबसे अधिक स्तन कैंसर की शिकार होती है वहीं पुरुष सबसे अधिक फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित पाये जाते हैं । नित नये अनुसंधानों के कारण सटीक निशाने के साथ कैंसर कोशिकाओं का ईलाज संभव हो रहा है, जिससे स्वस्थ कोशिकायें महफूज रहती हैं । नई आधुनिकी से शल्य चिकित्सा की परिधि भी कम होती जा रही है । इसके साथ ही साथ पैट सीटी एवं गामा कैमरे द्वारा कैंसर की सही स्थिति, आगे के वर्षों में उसके फैलाव को जानने में मदद मिलती है । सर्वेक्षणों से पता चलता है कि कई प्रकार के कैंसर की चिकित्सा में काफी सफलता मिल रही है ।
लोगों में कैंसर की जानकारी और उससे बचाव के साधनों में जहाँ आवश्यक जाँच एवं आधुनिक चिकित्सा पद्धति से दिनों-दिन कैंसर पर कामयाबी मिल रही है, वहीं तम्बाकू के बहिष्कार, खानपान की सही समझ, व्यायाम करने के सटीके तरीके तथा तनाव से बचने के सरल यौगिक साधन, जीवनशैली में बदलाव आदि से 40 प्रतिशत से अधिक कैंसर के फैलाव पर विजय पाई जा सकती है । इस पुस्तक का पहला उद्देश्य शरीर में मेलेग्नेन्सी होने की प्रवृत्ति तथा कैंसर के अनावश्यक विस्तार को रोकना है।
इसी को ध्यान में रखते हुये प्रस्तुत पुस्तक आप तक पहुँचाने का छोटा-सा प्रयास मात्र है। जिससे लोगों में प्रकृति के निकट जीवन जीने के बेशुमार फायदों का भान हो सके।
अनुक्रम
1
कैंसर की गति एवं जागरूकता
2
कैंसर के कारण और प्रकार
4
3
कैंसर की जाँच और बचाव
7
प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का गाँवों एवं शहरों में प्रचार-प्रसार
9
5
आज का सच
10
6
गाँवों में प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा की जागरूकता
11
शहरों में प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा की जागरूकता
8
कैंसर लाइलाज नहीं है
13
एलोपैथी चिकित्सा में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक
15
पैलिएटिव केयर
16
तम्बाकू का विनाश
17
12
तम्बाकू छोड़ने के उपाय
23
तम्बाकू से मुक्ति के प्राकृतिक एवं यौगिक उपाय
24
14
महिलाएँ एवं पुरुषों में कैंसर
25
प्रभावी वैकल्पिक चिकित्सा
31
आहार-पहला स्तंभ
32
योगाभ्यास-दूसरा स्तंभ (यौगिक क्रियाएँ, आसन, प्राणायाम)
43
18
प्राकृतिक चिकित्सा-तीसरा स्तंभ
59
19
लाभान्वित रोगी
73
20
कीमोथैरेपी एवं रेडियेशन के दुष्प्रभावों हेतू घरेलू उपचार
75
21
स्वस्थ जीवन के लिए उपयोगी बातें
78
22
सेहत के पाँच मूल मंत्र
80
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