प्राक्कथन
यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सूचना और प्रसारण मत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा 'आधुनिक भारत के निर्माता' पुस्तकमाला के अंतर्गत श्री जमनालाल बजाजजी का विस्तृत जीवन चरित्र लिखने का अवसर मिला। मैंने उपलब्ध सामग्री, प्रकाशित व अप्रकाशित तथा तीसरी दशाब्दी के मध्य व चौथी दशाब्दी के आरंभ में मेरे वर्धा निवास के दौरान एकत्र की गई व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर ही गाधीजी के पांचवे पुत्र के जीवन व कार्य का वर्णन व मूल्यांकन करने की पूरी कोशिश की है । मैंने विभिन्न स्रोतों से तथ्यों की पुष्टि करने का हर संभव प्रयत्न किया ताकि कोई त्रुटि न रह जाए । मैं आशा करता हूं कि इस जीवन चरित्र के द्वारा पाठक को उनके बहुमुखी व्यक्तित्व की जो बुद्धि व हृदय के विभिन्न गुणों से युक्त था निकट से झलक मिलेगी ।
श्री जमनालाल बजाज कई दृष्टियों से 'मनुष्य के मछुआरे' थे जिन्होंने महात्मा गांधी के सर्जनात्मक कार्यो के लिए व्यक्ति व धन जुटाने के लिए जी-जान की बाजी लगा दी । जिन उद्देश्यों के लिए बापू जिये उन उद्देश्यों के लिए उन्होंने अपने को पूरी तरह उनके साथ ढाल लिया-व्यक्तिगत रूप से भी तथा सार्वजनिक रूप में भी । उनका परम उद्देश्य गांधीजी के स्नेह व विश्वास का पात्र होना था तथा इस महान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किसी तरह के बलिदान को वह अधिक नहीं मानते थे ।
सहस्रों राजनीतिक और रचनात्मक कार्यकर्ताओं के लिए वह एक निष्ठावान पिता भाई व पुत्र थे। वह उनकी व्यावहारिक कठिनाइयों को देखने तथा हर संभव तत्परता से सुलझाने में कोई कसर न छोड़ते थे । गांधीजी के सपनों के स्वाधीन प्रगतिशील व समृद्ध भारत के निर्माण के कठिन किन्तु हृदयग्राही कार्य के लिए नई पीढ़ी के युवक-युवतियों को छना व जुटाना उनका शौक ही नही बल्कि तीव्र अभिलाषा भी थी ।इन सब से ऊपर जमनालालजी नैतिक तथा आध्यात्मिक शुद्धता के मार्ग पर अग्रसर एक सच्चे तीर्थयात्री थे। उनका अंतिम उद्देश्य था मानव की कमजोरियों पर विजय पाना तथा निस्पृहता तथा मानसिक संतुलन की परम स्थिति को प्राप्त करना। यही कारण है कि बापू उन्हें अपने 'न्यासिता' के सिद्धांत के निकटतम समझते थे।
जमनालालजी को दिवंगत हुए 30 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं, किंतु अभी एक दूसरे जमनालालजी पैदा नहीं हुए और शायद कई दशाब्दियों तक न पैदा हों ।
विषय-सूची
1
पांचवां पुत्र
2
चुम्बकीय व्यक्तित्व
11
3
जन्म और माता-पिता
24
4
वर्धा में आरंभिक जीवन
30
5
रायबहादुर की पदवी
44
6
नागपुर अधिवेशन और उसके बाद
51
7
झंडा-सत्याग्रह
66
8
सक्रिय राजनीति की ओर
76
9
तूफान का गर्जन
91
10
दांडी यात्रा : नमक सत्याग्रह
98
गांधीजी सेवाग्राम में
121
12
बुनियादी तालीम का जन्म
129
13
राष्ट्रभाषा की उन्नति
136
14
जयपुर सत्याग्रह
150
15
'भारत छोड़ो' की पृष्ठभूमि
182
16
गांधीवादी पूंजीपति
190
17
गुरु विनोबा
205
18
पितामह बापू
214
19
नेताओं से संपर्क
224
20
सत्य और पवित्रता की खोज
239
21
गो-सेवा की लगन
257
22
शांतिमय अंत
265
23
उपसंहार
281
परिशिष्ट
क.
सेठ जमनालाल बजाज मो. क. गांधी
287
ख.
पुण्य स्मृति में जवाहरलाल नेहरू
288
ग.
जमनालालजी का तारीखवार जीवन वृतांत
290
घ.
महात्मा गांधी के जमनालाल जी को गुजराती में लिखे गए पत्र
293
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