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बिपिन (वर्दी के पीछे की वो शख़्सियत): Bipin (The Man Behind the Uniform)

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Item Code: HBD286
Author: Rachna Bisht Rawat
Publisher: Penguin Books India Pvt. Ltd.
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9780143464273
Pages: 230 (Throughout Color Illustrations)
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5x5.5 inch
Weight 222 gm
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100% Made in India
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Book Description
पुस्तक परिचय

8 दिसम्बर 2021 की सुबह, भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका ने, अपनी बेटी तारिणी को गुडबाय कहा और दिल्ली के अपने घर से तमिलनाडु में सुलूर की फ्लाइट के लिए निकले। लगभग 11.48 बजे सुबह, वे एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर में बैठे जो उन्हें सुलूर से वेलिंगटन ले जाता, जहाँ जनरल रावत को एक लेक्चर देना था। लेकिन मंज़िल पर पहुँचने से कुछ ही मिनट पहले चॉपर क्रैश हो गया। ये उस शख्स का एक स्तब्ध कर देने वाला अन्त था जो रक्षा सेवाओं में बड़ी तेज़ी से ऊँचाई तक पहुँचा।

बिपिन; वर्दी के पीछे की वो शख्सियत उस एनडीए कैडेट की कहानी है जिसे स्विमिंग पूल में अनिवार्य जंप नहीं कर पाने के लिए दंडित किया गया; उस नौजवान सेकंड लेफ्टिनेंट की कहानी है जिसका आई कार्ड अमृतसर रेलवे स्टेशन पर नकली सहायक बनकर आए 5/11 गोरखा राइफल्स के एक ऑफ़िसर ने चुरा लिया; उस मेजर की कहानी है जो पैर पर प्लास्टर चढ़े होने के बाद भी पाकिस्तान सीमा पर, दुश्मन की नाक के नीचे अपने सैनिकों के साथ दशहरा मनाने चौकी पर जा पहुँचा; उस सेना प्रमुख की कहानी है जिसने फैसला लिया कि भारत सीमा-पार आतंकवाद की हर हरकत का खुलकर जवाब देगा; उस चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ की कहानी है जिसे सबसे ज़्यादा खुशी तब मिलती थी जब वह गोरखा सैनिकों के साथ झामरे डांस करता।

जनरल रावत के दोस्तों, परिवार के सदस्यों और सैनिकों के साथ गहरी बातचीत पर आधारित यह किताब भारत के महानतम और सबसे विवादास्पद सेना नायकों में गिने जाने वाले एक फौजी का जीवन बयां करती है।

लेखक परिचय

रचना बिष्ट रावत पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया से प्रकाशित सात पुस्तकों की लेखिका हैं, जिनमें द ब्रेव और कारगिल शामिल हैं। वह गुरुग्राम में चमकीली आँखों और झबरी पूँछ वाले गोल्डेन रीट्रिवर, हुकुम, किताबों और म्यूज़िक कलेक्शन, और कर्नल मनोज रावत के साथ रहती हैं; जिनसे उनकी मुलाक़ात तब हुई थी जब वह इंडियन मिलिट्री एकेडेमी में एक जेंटलमैन कैडेट थे और जिन्होंने आजीवन उनका कॉमरेड रहने की इच्छा जताई। बीच-बीच में, होशियार सारांश भी आ जाया करता है, जो अपनी दुनिया की तलाश में बाहर निकल पड़ा है।

भूमिका

अच्छी तरह याद है 4 दिसम्बर 2021 का वह दिन। शंकर विहार के 5/11 गोरखा राइफल्स में, बिपिन, मधु, पायल और मैं भविष्य की योजनाएँ बना रहे थे, कि कैसे ढलती उम्र में हम देहरादून में बॉनफ़ायर के पास आरामकुर्सियों पर पसरे होंगे। मगर ये सब कभी नहीं होना था! उस अनहोनी वाले दिन, मधु ने (जिन्हें उनके कई साथी मैडी कहते थे, और जो मैं कभी न कह सका) वॉट्सऐप पर यूनिट के सूबेदार मेजर के साथ एक तस्वीर भेजी और लिखा, 'शाम को फ़ोन. करूँगी।' वह शाम कभी नहीं आनी थी। न जाने कितनी ऐसी योजनाएँ बस यूँ ही बनती रहीं।

ऐसी कितनी ही यादें हैं, कुछ तो इतनी मामूली कि उनका ज़िक्र भी नहीं हो सकता ! सैन्य अभ्यासों के दौरान, उत्पल रॉय, दुर्गाप्रसाद, बिपिन और मैं नित्यकर्म के लिए लोटा ले जाना कभी नहीं भूलते थे। आज ऐसी बातों की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। मुझे याद है, 9 डोगरा में 81 एमएम मोर्टार्स की प्री-कोर्स ट्रेनिंग के दौरान हम कोलाबा के यूएस क्लब में थे, जब हमारे कानों में मशहूर अभिनेता राज कुमार की जानी-मानी बैरिटोन आवाज़ पहुँची, जो वहाँ गोल्फ़ खेल रहे थे।

प्रस्तावना

सर्दियों का एक साफ़ दिन। धूप खिली है। हवा के मोहक झोंकों से नारियल के पेड़ों के पत्तों में सरसराहट होती है। भारतीय वायु सेना का एक एंब्रेयर विमान मुख्य रनवे पर उतरा है और वीआईपी रिसेप्शन टारमैक की ओर जा रहा है। यह दिल्ली के पालम एयर बेस से, लगभग ढाई घंटे में 1951 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुँचा है। यह पार्किंग बे नम्बर-1 पर ठहर जाता है, पायलट फ़ौरन बाहर आकर सीढ़ी के पास वीआईपी मेहमान को रिसीव करने के लिए खड़ा हो जाता है जिसे वह लेकर आया है। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, शौर्य चक्र विजेता, डायरेक्टिंग स्टाफ़, डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ़ कॉलेज (डीएसएससी), भी साथ खड़े हैं जो अपने विशेष अतिथियों को अपनी सुरक्षा में सुलूर से वापस वेलिंगटन ले जाएँगे।

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