बांग्ला के विख्यात कथाकार बिमल मित्र की फिल्म अभिनेता और निर्देशकनिर्माता गुरुदत्त से मुलाकात उनके लोकप्रिय उपन्यास साहब बीवी गुलाम पर फिल्म बने के सिलसिले में हुई थी! कुत्छ हिडीनो में यहाँ सम्बन्ध ऐसी प्रगाढ़ मैत्री में बदल गया की गुरुदत्त की ट्रैजिक ज़िन्दगी के रेशे रेशे लेखक के सामने खुलने लगे! यहाँ संस्मरणात्मक पुस्तक इन्हीं हसीं और उदास रेशों से बनी गई है! गुरुदत्त द्वारा आत्महत्या कर लेने की खबर सुन कर बिमल मित्र के दिमाग को तरह-तरह के सवाल मथने लगे: गुरुदत्त की ज़िन्दगी में आखिर किस चीज़ का आभाव था? वह रत दर रात, बिना सोये , यूँ जाग जाग कर क्यों गुजरता था? दुनिया में सुखी होने के लिए इंसान जिन-जिन चीज़ों की कामना करता है, गुरुदत्त के पास वह सब कुछ था! मान-सम्मान, यश, दौलत, प्रतिष्ठा, सुनाम, सेहत, खूबसूरत बीवी, प्यारे-प्यारे बच्चे- उसके जीवन में क्या नहीं थ! इसके बावजूद वह किसके लिए बेचैन , छटपटाता रहता था? मानव चरित्र के पारखी और अध्येता बिमल मित्र ने इस अत्यंत पाठन्य पुस्तक में विभिन्न चाटनाओं और वृत्तांतों के बीच से इस पहेली को ही सुलझाने की चेष्टा की है! इस प्रकिर्या में गुरुदत्त की गायिका पत्नी गीतादत्त, गुरुदत्त की खूबसूरत खोज वहीदा रहमान रथ इनके पेचीदा सम्बन्ध ही नहीं, और भी ऐसा बहुत कुछ सामने आता चलता है जिससे बॉलीवुड की अंदरुनी ज़िन्दगी की विश्वसनीय झांकियां उपलब्ध होती है!
लेखक परिचय
बांग्ला के प्रमुख कथाकार बिमल मित्र (१९१२-१९९१) ने सौ से अधिक उपन्यास लिखे है! वे अत्यंत लोकप्रिय कथाकार थे! उनकी कई कृतियों पर सफल फिल्मों का निर्माण हुआ है१ भारतीय रेल सेवा से १९५० में ३८ वर्ष की आयु में इस्तीफ़ा दे कर वे पूर्णकालिक लेखक बन गए! वे एक सरल, गैर समझौतावादी ,आधुनिक और लड़ाकू व्यक्ति थे ! बिमल मित्र को रविन्द्र पुरस्कार, शरत स्मृति पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कार तथा सम्मान मिले थे!, उनकी कुछ बहुचर्चित कृतियाँ है-साहब बीवी गुलाम, खरीदी कौड़ियों के मॉल मरियम बेगम विश्वास, एकक दशक, शतक आसामी हाज़िर !
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