प्रस्तुत पुस्तक भक्ति-मार्ग के राही के लिए एक पथ-प्रदर्शक का काम करेगी, अन्धकार में भटकते हुए पथ-भ्रान्त पथिक के लिए यह एक प्रकाश-स्तम्भ बने, इसी प्रेरणा से इस पुस्तक में लेखों एवं भक्तों की कथाओं का चयन किया गया है। भक्ति मार्ग सबसे सरल और सुगम मार्ग है। मानव जाति को आत्म-कल्याण की ओर अग्रसर करने का, किन्तु भक्ति के रहस्य से अनभिज्ञ व्यक्ति मनमानी या परम्परागत पथ का अनुसरण करके ही अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता है और यहीं वह प्रकाश की ओर बढ़ने के बजाय अन्धकार के और गहरे गर्त्त में गिरने लगता है। उसकी यह नासमझी सच्चे संत-महात्माओं की संगत न मिलने के कारण, उसे जो वह कर रहा है, उसी में संतुष्ट रखती है।
यह पुस्तक भाषा एवं शैली की दृष्टि से अटपटी सी लग सकती है, परन्तु फिर भी जो इसे यत्नपूर्वक ध्यान से पढ़ेगा उसे, जो वह कर रहा है, उसका खोखलापन स्पष्ट होगा। साथ ही उसके अन्दर भक्ति के रहस्य को समझकर सच्ची भक्ति का मार्ग जानने की उत्सुकता भी पैदा होगी। इसी के साथ-साथ जो पहले से ही सच्चे सद्गुरु से भक्ति के गूढ़ रहस्य को समझ चुके हैं उनकी भक्ति और दृढ़ होगी। वे इस मार्ग में आने वाली बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त करेंगे। गोस्वामी तुलसीदासजी के शब्दों में-
रघुपति भगति करत कठिनाई।
इसलिए भक्ति मार्ग के राही पहले अपनी मंजिल का पता कर लें और तब उस मार्ग पर सही रूप में चलने का साधन अभ्यास करें तो यह उनके लिए हितकर होगा।
आशा है सच्चे जिज्ञासु और गुणग्राही व्यक्ति इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।
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