जागतिक वस्तुयें सभी सीमित हैं. असीमित नहीं है. किन्तु मनुष्य की भूख, उसकी प्यास असीमित है। मनुष्य की भूख, उसकी प्यास बुझाने के लिए असीमित वस्तु चाहिए। इसलिए जागतिक वस्तुओं से यह प्यास नहीं बुझ सकती है. इस क्षुधा की निवृत्ति नहीं हो सकती है। असीमित सत्ता एक ही है- परमपुरुष। इसलिए असीम की चाह जिसमें है, और असीम को पाकर जो आनन्दित होना चाहते हैं, उनके सामने सिर्फ एक ही रास्ता रह जाता है परमपुरुष को पाना और अपनी भूख मिटाना, प्यास बुझाना बुद्धिमान का काम यही है कि वे परमपुरुष को पाने का प्रयास करें। प्रयास करने से मनुष्य सब कुछ कर सकता है, सब कुछ पा सकता है। परमपुरुष को पाना कोई बड़ी बात नहीं है। परमपुरुष ने जब तुम्हारे मन में असीमित भूख दी है तो इसका स्वयं में तात्पर्य यही है कि वे उसकी निवृत्ति भी करेंगे, तुम्हारी प्यास को वे बुझायेंगे। परमपुरुष चाहते हैं कि मनुष्य परमपुरुष को पाने की कोशिश करें और उन्हें पायें। अतः मनुष्य प्रयास करें, वे अवश्य ही उन्हें पायेंगे, पाकर रहेंगे। यह कोई बड़ी बात नहीं है, कोई असम्भव बात नहीं है। अतीत में जिन्होंने कोशिश नहीं की, आज से करें। अवश्य ही वे सार्थकता उपलब्ध करेंगे, इस शुभ कार्य में सफल होंगे।
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