उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें: Best Urdu Ghazals

$14.25
$19
(25% off)
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZD138
Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi
Author: रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kalia)
Language: Hindi
Edition: 2014
ISBN: 9789326351645
Pages: 151
Cover: Hardcover
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 270 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

पुस्तक के विषय में

उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें

जहाँ तक ग़ज़ल का सम्बन्ध है, वह भी भारत में सार्वभाषिक विधा के रूप में विकसित हो रही है। आज ग़ज़ल के पाठक उर्दू से कहीं अधिक हिन्दी में हैं। ग़ालिब को ही लें, अब तक उनके दीवान की हिन्दी में अनेक टीकाएँ लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। शायद ही हिन्दी का कोई कवि होगा, जिसने ग़ालिब का अध्ययन न किया हो, मीर को न पढ़ा हो, ज़ौक का नाम न सुना हो। हिन्दी में पचास के दशक में प्रकाश पंडित के सम्पादन में उर्दू शायरों की एक श्रृंखला प्रकाशित हुई थी, जिसने हिन्दी के आम पाठकों का ध्यान खींचा था और देखते ही देखते उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो गये। आज हिन्दी के लगभग समस्त प्रकाशकों ने ग़ज़लों के संकलन प्रकाशित किये हैं जो पाठकों में खूब लोकप्रिय हैं। अक्सर कुछ उच्चभ्रू लोग यह कह कर ग़ज़ल से पल्ला झाडू लेते हैं कि ग़ज़ल हुस्नो इश्क़ पर केन्द्रित एक रोमांटिक विधा है; जबकि सचाई यह नहीं है। ग़ज़ल की रवायत ही कुछ ऐसी है कि हर बात, वह चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो, प्रिय या प्रियतम के माध्यम से ही कही जाती है। यह ग़ज़ल की सीमा भी है और शक्ति भी। यह शायर की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वह किस युक्ति से हुस्न और इश्क़ की सीमा में रहते हुए उसमें जिन्दगी के रंग भरता है और फ़लसफ़े हयात की बात करता है, जीवन और मृत्यु के दर्शन को समझने की कोशिश करता है :

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे

मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे

जटिल रहस्यवादी चिन्तन को सहज सरल ढंग से अभिव्यक्त करना ग़ज़ल में ही सम्भव है।

कुछ लोग ग़ज़ल के विन्यास को देखते हुए उस पर शब्द क्रीड़ा का भी आरोप लगाते हैं, मगर यह उन कवियों के लिए कहा जा सकता है, जो ग़ज़ल के नाम पर शब्दों के साथ खेलते हैं और शब्द क्रीड़ा को ही अपनी उपलब्धि मान लेते हैं। ऐसे कवियों की संख्या भी कम नहीं है। ग़ज़ल में ही क्यों, शब्दों की बाज़ीगिरी किसी भी विधा में दिखाई जा सकती है। बड़ा शायर उसी को माना गया है, जो बहर, काफ़िए और रदीफ़ के अनुशासन के भीतर रह कर सिर्फ़ भाषा के चमत्कार दिखाने में ही नहीं रम जाता, बल्कि आम आदमी के संघर्षों, उम्मीदों, निराशाओं, सपनों को वाणी देता है । धीरे-धीरे ग़ज़ल ने संगीत के क्षेत्र में भी अपने लिए जगह महफूज कर ली। कुछ गायक ग़ज़ल का हाथ थाम कर लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचे । बेग़म अख्तर, मेहदी हसन, गुलाम अली और जगजीत सिंह ग़ज़ल गायकी के जगमगाते सितारे हैं।

यह पुस्तक ग़ज़ल का ऐसा संकलन है जिसमें आपको उस्तादों के कलाम भी पढ़ने को मिलेंगे और ग़ज़ल के शुरुआती दौर से अब तक के सफर का एक जायजा भी मिल जाएगा। इसके लिए हमारा यह प्रयास कहाँ तक सफल रहा है, यह तो पाठक ही बताएँगे।

भूमिका

गज़ल उर्दू की एक लोकप्रिय साहित्यिक विधा है । पूछा जा सकता है कि अचानक यह गज़ल विशेषाक क्यों प्रकाशित किया जा रहा है, इसका औचित्य क्या है? वस्तुत साहित्य की किसी भी विधापर किक भाषा या देश का एकाधिकार नहीं होता। आज के कथा साहित्य का अवलोकन करें तो हम पाएगें, उस पर भी कई भाषाओं और कई देशें। का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष प्रभाव है । आज हिन्दी कहानी का वह रूप नहीं है जो हितोपदेश अथवा कथा सरित्सागर का था। आज कहानी में कई अन्य भाषाओं के कथाकारों की प्रतिध्वनियाँ सुनी वा सकती हैं । किसी भी देश या भाषा की कहानी हो, उस पर चेखव, मोपासाँ, ओ हेनरी हेमिग्वे सामरसेट मॉम, काफ़्ता दास्तोएवस्की, मटो, शरच्चन्द्र. प्रेमचन्द, लू-शुन की प्रतिध्वनियाँ सुनी जा सकती हँ । जहाँ तक गज़ल का सम्बन्ध है, वह भी भारत में सार्वभाषिक विधा के रूप में विकसित हो रही है आज गज़ल के पाठक उर्दू से कहीं अधिक हिन्दी में हैं। गालिब को ही लें, अब तक उनके दीवान की हिन्दी में अनेक टीकाएं लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। शायद ही हिन्दी का कोई कवि होगा, जिसने गालिब का अध्ययन न किया हो, मीर को न पड़ा हो, ज़ौक का नाम न सुना हो। हिन्दी में पचास के दशक में प्रकाश पंडित के सम्पादन में उर्दू शायरों की एक शृंखला प्रकाशित हुई थी जिसने हिन्दी के आम पाठकों का ध्यान खींचा था और देखते ही देखते उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो गये।आज हिन्दी के लगभग समस्त प्रकाशकों ने गज़लों के संकलन प्रकाशित किये हैंजो पाठकों में खूब लोकप्रिय है। अक्सर लोग यह कह कर गजल से पल्ला झाड लेते हैं कि गज़ल हुस्नों इश्कपर केन्द्रित एक रोमांटिक विधा है, जबकि सचाई यह नहीं है। गजल की रवायत ही कुछ ऐसी है कि हर बात, वह चाहे कितनी भी गहरी क्यो न हो प्रिय या प्रियतम के माध्यम से ही कही जाती है। यह गज़ल की सीमा भी है और शक्ति भी। यह शायर की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वह किस युक्ति से हुस और इश्क्र की सीमा में रहते हुए उसमे जिन्दगी के रग भरता हे और फ़लसफ़े हयात की बात करता है, जीवन और मृत्यु के दर्शन को समझने की कोशिश करता है :

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे

मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे

जटिल रहस्यवादी चिन्तन को सहज सरल ढंग से अभिव्यक्त करना ग़ज़ल में ही सम्भव है ।

कुछ लोग ग़ज़ल के विन्यास को देखते हुए उस पर शब्द क्रीड़ा का भी आरोप लगाते हैं, मगर यह उन कवियों के लिए कहा जा सकता है, जो ग़ज़ल के नाम पर शब्दों के साथ खेलते हैं और शब्द क्रीड़ा को ही अपनी उपलब्धि मान लेते हैं । ऐसे कवियों की संख्या भी कम नहीं है । ग़ज़ल में ही क्यों, शब्दों की बाज़ीगिरी किसी भी विधा में दिखाई जा सकती है । बड़ा शायर उसी को माना गया है, जो बहर, काफ़िए और रदीफ़ के अनुशासन के भीतर रह कर सिर्फ़ भाषा के चमत्कार दिखाने में ही नहीं रम जाता, बल्कि आम आदमी के संघर्षों, उम्मीदों, निराशाओं, सपनों को वाणी देता है। धीरे-धीरे ग़ज़ल ने संगीत के क्षेत्र में भी अपने लिए जगह महफूज कर ली। कुछ गायक ग़ज़ल का हाथ थाम कर लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचे । बेग़म अख्तर, मेहदी हसन, गुलाम अली और जगजीत सिंह ग़ज़ल गायकी के जगमगाते सितारे हैं ।

यह पुस्तक ग़ज़ल का ऐसा संकलन है जिसमें आपको उस्तादों के कलाम भी पढ़ने को मिलेंगे और ग़ज़ल के शुरुआती दौर से अब तक के सफर का एक जायजा भी मिल जाएगा । इसके लिए हमारा यह प्रयास कहाँ तक सफल रहा है, यह तो पाठक ही बताएँगे ।

 

अनुक्रम

1

अमीर ख़ुसरो

9

2

मुहम्मद कुली 'कुतुब' शाह

10

3

शम्मुद्दीन वली दकनी

11

4

मो. रफी सौदा

12

5

सिराज औरंगाबादी

13

6

ख्वाजा मीर दर्द

14

7

मीर मुहम्मद तक़ी 'मीर'

15

8

शैख गुलाम हम्दानी 'मुसहफ़ी'

17

9

सय्यद ईशा अल्लाह खाँ 'ईशा'

18

10

इमामबख़्श नासिख

19

11

बहादुर शाह जफर

20

12

ख्वाजा हैदर अली 'आतिश'

21

13

शेख इब्राहीम ज़ौक़

22

14

मिज़8असद-उल्लाह खाँ 'ग़ालिब'

23

15

मोमिन खाँ 'मोमिन'

26

16

नवाब मिर्ज़ा खाँ 'दाग़' देहलवी

28

17

मौलाना अलाफ़ हुसैन हाली

30

18

अकबर इलाहाबादी

31

19

अल्लामा मुहम्मद इक़बाल

32

20

शौकत अली खाँ 'फ़ानी' बदायूँनी

33

21

सैयद फ़ज़लुल हसन 'हसरत मोहानी'

34

22

ब्रजनारायण 'चकबस्त'

36

23

'यास', 'यगान: ' चंगेज़ी, अज़ीमाबादी

37

24

जिगर मुरादाबादी

38

25

'फिराक़' गोरखपुरी

39

26

शब्बीर हसन ख़ाँ जोश मलीहाबादी

40

27

बिस्मिल अज़ीमाबादी

42

28

हफ़ीज़ जालन्धरी

43

29

आनन्द नारायण मुल्ला

44

30

जमील मज़हरी

45

31

मख़्दूम मोहिउद्दीन

47

32

असरारुल हक़ 'मजाज़' लखनवी

49

33

खुमार बराबंकवी

50

34

नजीर बनारसी

52

35

नुशूर वाहिदी

53

36

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

55

37

मीराजी

58

38

अली सरदार जाफ़री

59

39

जांनिसार अख्तर

60

40

एहसान दानिश

61

41

अहमद नदीम क़ासमी

62

42

शकील बदायूँनी

64

43

जगन्नाथ आज़ाद

65

44

मज़रूह सुलानपुरी

66

45

कैफ़ी आज़मी

67

46

क़तील शिफ़ाई

70

47

साहिर लुधियानवी

72

48

नासिर काज़मी

73

49

कृष्य बिहारी 'नूर'

75

50

कलीम आजिज़

76

51

नरेश कुमार 'शाद'

77

52

राही मासूम रज़ा

78

53

इने इंशा

79

54

कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर'

80

55

मज़हर इमाम

81

56

मुनीर नियाज़ी

83

57

गुलज़ार

84

58

जॉन एलिया

87

59

अहमद फ़राज़

89

60

मनचन्दा 'बानी'

92

61

फ़ज़ल ताबिश

95

62

कृष्ण कुमार 'तूर'

96

63

शकेब जलाली

98

64

सुदर्शन फ़ाकिर

101

65

बशीर बद्र

103

66

शहरयार

105

67

मुज़फ़्फर हनफ़ी

108

68

नाज़िर सिद्दीक़ी

109

69

निदा फाज़ली

111

70

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

113

71

वसीम बरेलवी

114

72

जावेद अख़्तर

117

73

अमीर आग़ा क़ज़लबाश

119

74

अज़हर इनायती

121

75

शुजाम्-ख़ावर

122

76

शाहिद मीर

123

77

परवीन शाकिर

124

78

राहत इन्दौरी

126

79

मुनव्वर राना

128

80

नवाज देवबन्दी

130

81

शकील जमाली

131

82

अख्तर नज़्मी

132

83

कृष्ण अदीब

135

84

क़ैसर-उल-जाफ़री

137

85

प्रेम बारबर्टनी

140

86

कुमार 'पाशी'

141

87

राज इलाहाबादी

142

88

क़मी जलालाबादी

143

89

शमीम जयपुरी

144

90

शकील जमाली

145

91

शीन काफ़ निज़ाम

146

92

अहमद कमाल हाश्मी

149

93

शम्मी शम्स वारसी

150

94

सदा अम्बालवी

151

 

 

Sample Page


Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories