विश्व में शान्ति एवं सुव्यवस्था की स्थापना में मानवीय कार्यों की अहम भूमिका रहती है। मानव पर विकृत विचारों का प्रभाव कार्य रूप में समाज में अशान्ति लाता है और सुविचारों का प्रभाव समाज, देश व विश्व में शान्ति व सुव्यवस्था को बढ़ावा देता है। अच्छे व बुरे कार्यों का विश्लेषण व्याख्या अतीत के ज्ञान से होती है। अतीत के अच्छे मानवीय कार्य व बुरे कार्यों की जानकारी भविष्य के मार्गदर्शन के लिए परम आवश्यक है। इसीलिये भारतीय धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक परम्पराओं में मानव में अच्छे विचारों को दृढ़ता देने का आह्वान है।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत की खोज व उनसे भारतीय इतिहास को प्रभावित करने वाले व्यक्ति के कृतित्व को उजागर करने के प्रयास में विद्या प्रचारिणी सभा, भूपाल नोबल्स संस्थान, उदयपुर के उच्च प्रबन्धन ने मानवीय मूल्यों के उच्च आदर्श तथा देश व विश्व में शान्ति सुव्यवस्था के प्रेरक पुरुष बापा पर शोधपरक कार्य करने की प्रेरणा से बापा पर प्रेरणादायक प्रसंगों को उजागर करने का प्रयास किया गया। विभिन्न प्राप्त स्रोतों के अध्ययन व विश्लेषण से तत्कालीन भारतीय राजनैतिक स्थिति को उजागर किया है। बापा के अभावग्रस्त बाल्यकाल में अच्छे मार्गदर्शक के रूप में हारीत राशि का मिलना और हारीत बापा की दृढ़ता ने तत्कालीन भारतीय राजनैतिक उथल-पुथल को समझ भारतीय शासकों को एक कर विदेशी आक्रमणकारियों को भारतीय सीमा से दूर रखा।
भारतीय संस्कृति की मानवीय विशेषताओं ने समाज में शान्ति व्यवस्था की एक ऐसी परम्परा रखी जो अनेक शताब्दियों तक भारत ही नहीं विश्वजन में प्रेरणा के रूप में जीवन्त बनी रही। बापा द्वारा स्थापित मेवाड़ राज्य व उसके शासक ईश्वरीय शक्ति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर शासक के रूप में ईश्वरीय शक्ति के मंत्री (दीवाण) के रूप में कार्य सम्पादन की अनूठी परम्परा कायम की जिससे इनके वंशजों में उच्च आदर्श व जन सेवा के भावों को बनाये रखने में सहायक बनी। परिणामस्वरूप बापा की वंश परम्परा में रावल खुमाण, महाराणा हमीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप व महाराणा राजसिंह जैसे कई शासकों ने समाज को नई दिशा व व्यवस्था प्रदान की। बापा के वंशज व उनका राज्य साम्राज्य विस्तार व वैभव से ज्ञात न होकर वह अपने उच्च आदर्शों से पहचाना जाता है। अतः बापा के व्यक्तित्व व कृतित्व को उजागर कर उसके ऐतिहासिक पक्ष के साथ-साथ उसके द्वारा स्थापित व्यवस्था को भी उजागर करने का प्रयास किया गया है। जो भावी पीढ़ी में मानवीय मूल्यों की स्थापना में सहायक होगा।
बापा पर कार्य करने के प्रेरणा प्रदाता मेरे गुरु प्रो. के. एस. गुप्ता ने बापा पर लेखन का शोध मार्गदर्शक के रूप में सतत प्रेरणा प्रदान की। तदर्थ आभारी। विद्या प्रचारिणी सभा, भूपाल नोबल्स संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमान् यशवन्त सिंह शक्तावत, उपाध्यक्ष श्रीमान् तेज सिंह बान्सी, मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह राठौड़, संयुक्त मंत्री श्रीमान् पदम सिंह चूण्डावत, प्रबन्ध निदेशक डॉ. निरंजननारायण सिंह राठौड़, वित्तमंत्री श्रीमान् कृष्ण सिंह सारंगदेवोत व प्रतिष्ठान परामर्श समिति अध्यक्ष श्रीमान् बलवन्त सिंह झाला का आभार कि आपके द्वारा उक्त कार्य की स्वीकृति और मार्गदर्शन से ही इसका प्रकाशन हो सका।
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