नीब करौरी बाबा के सार को समेटने का मतलब एक ऐसे रहस्य से जूझना है, जो पारंपरिक समझ से परे है। है। बाबा नीब करौरी सन् 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में लक्ष्मी नारायण शर्मा के रूप में जनमे, बाद में महाराजजी बन गए। रहस्य और दैवीय हस्तक्षेप से घिरा उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक प्रकाश के लिए मंच तैयार करता है, जिसका प्रभाव पीढ़ियों तक रहेगा।
हिमालय की गोद में बसा कैंची धाम एक मरुद्यान के रूप में उभरा, जहाँ विविध पृष्ठभूमि के साधक आध्यात्मिक पोषण की खोज में एकत्र हुए। यहाँ के मनोरम वातावरण में एक अलग ही प्रकार की अप्रतिम अनुभूति होती है और किसी दिव्य आध्यात्मिक चेतना से हर भक्त अपने कष्ट भूलकर बाबा की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनुभव कर पाता है। यह पुस्तक आश्रम का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है। मंदिर के दैनिक अनुष्ठान, सत्संग और आध्यात्मिक अभ्यास तथा महाराजजी की शिक्षाएँ इसे मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करने का केंद्र बनाते हैं। सुरुचिपूर्ण वर्णनों और उपाख्यानों के माध्यम से पाठकों को कैंची धाम के हृदय तक ले जाया गया है, जहाँ दिव्य वचन गूंजते रहते हैं।
करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्रबिंदु कैंची धाम के बाबा नीब करौरी की आध्यात्मिक चेतनायुक्त प्रेरक व प्रामाणिक जीवनगाथा, जिसके अध्ययन से जीवनपथ आलोकित होगा और कष्ट कम होंगे।
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य। हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं- मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में 'बुंदेलखंड युवा पुरस्कार', समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि ।
कुमाऊँ की पहाड़ियों के शांत आलिंगन में, जहाँ की हवा में प्राचीन ज्ञान की सुगंध बसती है और भक्ति की गूँज हवा में बनी रहती है, कैंची धाम खड़ा है- एक पवित्र स्थान जो नीब करौरी बाबा की आत्मा का वास है, जिन्हें प्यार से महाराजजी के नाम से जाना जाता है। जैसे ही हम इस साहित्यिक यात्रा पर आगे बढ़ते हैं, 'कैंची धाम के बावा श्री नीव करौरी महाराज' के रहस्य को उजागर करते हुए, पन्ने न केवल एक जीवन के विवरण के रूप में सामने आते हैं, बल्कि उस पवित्र क्षेत्र में प्रवेश करने के निमंत्रण के रूप में सामने आते हैं, जहाँ सांसारिकता और दिव्यता का एक साथ वास है।
महाराजजी के जीवन, शिक्षाओं और कैंची धाम में उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत का ताना-बाना अटूट भक्ति और असीम प्रेम के धागों से बुना हुआ है। यह पुस्तक एक करघे की तरह काम करती है, जो उनके सांसारिक प्रवास, बारहमासी नदी की तरह बहने वाली शिक्षाओं और उनकी दिव्य उपस्थिति के जीवित प्रमाण के रूप में उभरे आध्यात्मिक अभयारण्य के जटिल विवरणों को सावधानीपूर्वक पिरोती है।
कैंची धाम, अपनी वास्तुकला की सादगी और प्राकृतिक सुंदरता के साथ, एक भौतिक स्थान से कहीं अधिक है। यह सांत्वना, परिवर्तन और परमात्मा के साथ मिलन चाहनेवाली आत्माओं के लिए एक तीर्थस्थल है।
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