विज्ञान के क्षेत्र में हुई तरक्की से पत्रकारिता का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है पत्रकारिता की शुरुआत प्रिंट मीडिया यानी समाचार पत्र के प्रकाशन से हुई, तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रसारण पर जाकर खत्म हुई। यह विज्ञान की ही देन मानी जाती है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सर्वप्रथम रेडियो (भारत में आकाशवाणी) से प्रसारण शुरू हुआ ।
बीसवीं सदी के तीसरे दशक में बी.बी.सी (B.B.C. British Broad Castingके प्रसारण से समाचार जगत में क्रान्ति सी आ गई। विश्व के किसी भी भाग में होने वाली घटनाओं का आंखों देखा वर्णन रेडियो के माध्यम से सुना जा सकता था। इसके बाद तो विश्व के समस्त विकसित देशों में रेडियो प्रसारण सेवा की स्थापना होने लगी। भारत में ब्रिटिश शासन काल में रेडियो प्रसारण सेवा शुरू हुई। स्वातंत्र्योपरांत भारतीय रेडियो प्रसारण सेवा को प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पंत ने 'आकाशवाणी' नाम दिया। यह नाम काफी लोकप्रिय हुआ।
कंप्यूटर में इन्टरनेट पर किसी भी समाचार पत्र का वेबसाइट खोलकर अद्यतन समाचार की बाइट्स देखी जा सकती है। आधुनिक समय में संचार तंत्र ने अंतरिक्ष विज्ञान के युग में प्रवेश किया, जिन्होंने संचार तंत्र को नये आयाम दिए, अतः इसके व्यापक और विराट परिवेश ने इसे नाम दे दिया मल्टी-मीडिया (Multi-Media)। विज्ञान के इस परिवर्तित दौर में मल्टी-मीडिया ने सांस्कृतिक और सामाजिक संक्रमण के युग में बहुत बड़ी भूमिका का निर्वाह किया है। ज्ञान के क्षेत्र का विकास विश्वव्यापी स्तर पर कर दिया है तथा मनोरंजन के वातावरण में क्रांतिकारी वातावरण की सृष्टि कर दी है।
दृश्य-श्रव्य माध्यम लेखन नामक इस पुस्तक में पत्रकारिता के विविध रूप, मीडिय, लेखन के विविध रूप, समाचार लेखन, आकाशवाणी और दूरदर्शन समाचार लेखन, रेडियो वार्ता लेखन, टेलीविजन नाट्य लेखन, रूपक लेखन आदि शीर्षकों के तहत पुस्तक की विषय-वस्तु पर प्रकाश डाला गया है। आशा है यह प्रयास पाठकों को पसन्द आयेगा।
रसा मल्होत्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। इलाहाबाद शहर के एक सरकारी विद्यालय से इन्होंने आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। उच्च शिक्षा इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की। महानगर की चकाचौंध के बीच भी लेखिका ने लेखन को ही आत्मसात किया, जो लेखन के प्रति इनके लगाव को परिलक्षित करता है। देश सेवा के लिए लेखन के अतिरिक्त सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रीय रूप से भाग लेती रही हैं। इसके अलावा लेखिका कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ी हैं। इन्होंने कई पत्र व पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख भी लिखें हैं।
विज्ञान के क्षेत्र में हुई तरक्की से पत्रकारिता का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। पत्रकारिता की शुरुआत प्रिंट मीडिया यानी समाचार पत्र के प्रकाशन से हुई, तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रसारण पर जाकर खत्म हुई। यह विज्ञान की ही देन मानी जाती है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सर्वप्रथम रेडियो (भारत में आकाशवाणी) से प्रसारण शुरू हुआ ।
बीसवीं सदी के तीसरे दशक में बी.बी.सी (B.B.C-British Broad Casting) के प्रसारण से समाचार जगत में क्रान्ति सी आ गई। विश्व के किसी भी भाग में होने वाली घटनाओं का आंखों देखा वर्णन रेडियो के माध्यम से सुना जा सकता था। इसके बाद तो विश्व के समस्त विकसित देशों में रेडियो प्रसारण सेवा की स्थापना होने लगी। भारत में ब्रिटिश शासन काल में रेडियो प्रसारण सेवा शुरू हुई। स्वातंत्र्योपरांत भारतीय रेडियो प्रसारण सेवा को प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पंत ने 'आकाशवाणी' नाम दिया। यह नाम काफी लोकप्रिय हुआ।
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