प्राक्कथन
आयुर्वेदीय मुख्य संहिताओं को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-वृहद्वयी एवं लघुत्रयी। वृहद्मयी के अन्तर्गत चरक संहिता, सुश्रुत संहिता एवं वाग्भट्ट संहिता को तथा लघुत्रयी के अन्तर्गत शारङ्गघर संहिता, माधवनिदान एवं भावप्रकाश की गणना की जाती है। इसमें भी माधव निदान आयुर्वेद के सम्पूर्ण विषयों को समाहित न कर, एक विषय निदान की विशेषता वाली पुस्तक है। वृहद्वयी के अन्तर्गत आने वाली वाग्भट्ट संहिता से आयुर्वेद के प्रचलित दो ग्रन्थों का ग्रहण किया जाता है-अष्टाङ्ग संग्रह तथा अष्टाङ्ग हृदय। पूर्व में आयुर्वेदाध्ययन की प्रारम्भिक अवस्था में अर्थात् आयुर्वेदाचार्य के प्रारम्भिक वर्ष में अष्टाङ्ग संग्रह का अध्ययन कराया जाता था, परन्तु कालान्तर अधुना अष्टाङ्ग हृदय का अध्ययन कराया जाता है। स्नातकोत्तर स्तर पर वाग्भट्ट संहिता के अन्तर्गत इन दोनों ग्रन्थों का प्रायः अध्ययन किया जाता है।
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