प्रस्तावना
महाशय पाठकगण! वह ग्रंथ तो अतिलघु है, तथापि विषय सर्वोपयोगी है, क्योंकि इसमें सूतक बगैरह का निर्णय है तो मनुष्यमात्रको जरुरत पड़ती है. देखिये बड़े २ शहरोंमें तो विद्वान पण्डित निवास करते हैं जिन्हें पूंछके मनुष्य अपना शंका समाधान कर लेते हैं परन्तु छोटे २ ग्रामोंमें भूदेव (पण्डित) नहीं तहाँ अति कठिनता हो जाती है तो इस पुस्तकको अवलोकन करनेसे सर्व साधारण मनुष्य जो केवल हिन्दी अक्षर मात्र जानते हैं वह भी अपने कार्य कर सकेंगे। यही समझकर बेरीनिवासी पण्डित वस्तीरामजीकृत टीकासहित इस पुस्तक को हमने छापा है। आशा है कि इससे सर्वधारणका सन्देह निवृत्त होगा। इस आवृत्तिमें पण्डितों द्वारा यह ग्रन्थ और भी शुद्ध कराया गया है तथापि अनवधानतासे रही हुई भूलको पाठक समा करेंगे।
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