अब से 50 वर्ष पूर्व स्थापित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सी.एस.आई.आर), विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश में आर्थिक और औद्योगिक विकास लाने के प्रति समर्पित है। इस उद्देश्य पूर्ति के लिये इसने अनेक प्रयोगशालाओं की स्थापना की है जिनमें उद्योगों की रूचि और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अनुसंधान किये जाते हैं। उदाहरणार्थ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे तथा राष्ट्रीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद, रसायन उद्योग; केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान, मद्रास, चमड़ा उद्योगः केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर, खाद्य संसाधन उद्योग; राष्ट्रीय धातुवर्ग प्रयोगशाला, जमशेदपुर, धातु उद्योग तथा केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, औषधि उद्योग की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
जनादेश का पालन करते हुए सी.एस.आई.आर. ने सदैव इस बात का ध्यान रखा है कि प्रौद्योगिकी के अग्रिम क्षेत्रों में कुशलता लाने तथा इस कार्य के लिये विशेषज्ञों का निर्माण करने के लिये विज्ञान का उच्चतम स्तर रखना होगा। उसका यह निश्चय राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, दिल्ली तथा अन्य क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में उच्च तापक्रम पर अति संचालकता से संबंधित अनुसंधानों, या फिर कोशिकीय तथा आण्विक जीव विज्ञान केन्द्र, हैदराबाद में डी एन ए फिंगरप्रिंटिंग प्रौद्योगिकी पर किये जा रहे अनुसंधानों से पूरी तरह परिलक्षित होता है।
सी.एस.आई.आर. इस तथ्य से पूरी तरह परिचित है कि वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक विकास की गति को योग्य, युवा वैज्ञानिकों की उपलब्धता के बिना निरन्तर बनाये रखना कठिन कार्य है। अतः उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से मानव संसाधन विकास का एक ओजस्वी कार्यक्रम हाथ में लिया है जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उभरते युवा स्नातकों को अनुसंधान की दिशा दी जा सके।
कम्प्यूटर युग आरम्भ हो चुका है। इन्होंने हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। उपयुक्त साफ्टवेयर और प्रोगामों का प्रयोग कर हम अनेक समस्याओं को सुलझा सकते हैं। उदाहरण के लिए, इससे गणित की अत्यंत जटिल समस्याएं सुलझायी जा सकती हैं, डाटाबेस बनाया जा सकता है, अर्थशास्त्र संबंधी भविष्यवाणी की जा सकती है, निर्णय लेने में इनकी मदद ली जा सकती है और बड़े बड़े कारखानों के संचालन में इंजीनियर इनकी मदद ले सकते हैं। इसलिए यदि एक आम आदमी यह कहे कि 'कम्प्यूटर' एक मशीन है। ये बहुत बुद्धिमान हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। आज 'चतुर' और 'बुद्धिमान' जैसे विशेषण मानवों के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति दिए गये काम को निर्धारित समय से कम समय में पूरा कर देता है तो उसे चतुर समझा जाता है। लेकिन, बुद्धिमानी एक ऐसा गुण है जिसे परिभाषित करने की अपेक्षा समझना सरल है। अगर कोई इसे नापने या इसका मूल्य आंकने लगे तो निश्चित रूप से उलझ कर रह जाएगा।
पिछले चार दशकों से वैज्ञानिक, सभी उपलब्ध तकनीकों का उपयोग कर, उपभोक्ताओं के ऐसे मित्रवत् कम्प्यूटर तंत्रों को आकार देने का प्रयास कर रहे हैं जो मानव बुद्धि के समकक्ष हों। अभी तक उन्हें आंशिक सफलता ही मिली है। आजकल ऐसे विशेषज्ञ तंत्र उपलब्ध हैं जो ज्ञान के विशेष क्षेत्रों में, समस्याओं को हल करने में अपने उपभोक्ताओं की सहायता करते हैं। आज मशीनें बोले गए शब्दों और साधारण वाक्यों को समझ सकती हैं। ऐसी भी मशानें हैं जो चित्रों और विशेष प्रतिदर्शों का विशलेषण कर सकती हैं। कृत्रिम बुद्धिमता का यह नया विषय बहुत तेजी से उन्नति कर रहा है। मानव से संबन्धित अनेक अंतरंग विषयों को प्रभावित करने के कारण इसने लोगों को सम्मोहित कर रखा है।
इस पुस्तक में AI से जुड़ी धारणाओं और परिवर्धन की महक बसी हुयी है। बच्चों के लिए लिखी गयी यह पुस्तक आशा है कि प्रगतिशील वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए भी रूचिकर सिद्ध होगी।
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