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अनुसूचित जाति की शिक्षित महिलायें एवं बेरोजगारी: Anusuchit Jati ki Shikshit Mahilaye Evam Berojgari

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Item Code: HBA858
Author: Vikas Bansal 
Publisher: KHAMA PUBLISHERS, Delhi
Language: Hindi
Edition: 2023
ISBN: 9789392619328
Pages: 145
Cover: HARDCOVER
Other Details 9.00x6.00 inch
Weight 300 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
लेखक परिचय

जन्म 10 जुलाई 1989 को हुआ। हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद, उ.प्र. से करने के पश्चात् स्नातक, परास्नातक तथा पी-एच.डी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पूर्ण किया। शोध के अन्तर्गत ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (नेट) तथा कनिष्ठा शोध छात्रावृत्ति (जेआरएफ) समाजशास्त्र विषय में प्राप्त की। शैक्षणिक तथा आनुसंधानित रुचियाँ सदैव से वंचित वर्ग के सन्दर्भ में रही है जिसके कारण ही आपने दलित महिलाओं पर अनुसंधान का कार्य वर्ष 2022 में समाजशास्त्र विषय पर पूर्ण किया। शोध तथा अनुसंधान की रुचि के अनुक्रम की गतिशीलता में आपने राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में 16 शोध पत्र प्रस्तुत किया तथा एक कार्यशाला में सहभागिता की। शोध पत्रों के प्रकाशन हेतु क्रियाशील रहते हुए आपने विभिन्न विषयों पर गुणवत्तायुक्त 06 शोध पत्र लिखे जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई। वर्तमान में भी आपकी रुचि शैक्षणिक गतिविधियों सहित लेखन में बनी हुई है।

प्राक्कथन

अनुसूचित जाति की शिक्षित महिलाएँ एवं बेरोजगारी वर्तमान समय में महत्वपूर्ण सामाजिक समस्य है जो कि लैगिक आधार पर जनसंख्यात्मक वृद्धि को प्रदर्शित करती है। शिक्षा और बेरोजगारी सामाजिक समस्या के साथ ही साथ मानसिक कारकों, कुण्ठा, पूर्वाग्रह आदि को विघटन के रूप में दर्शाता है। शिक्षित बेरोजगारी से कल्याणकारी योजनाओं के भी प्रभावोत्पादकता प्रभावित होता है जिसमें निर्धनता, अभाव, कुपोषण, अल्प पोषण जैसी समस्याएँ निर्मित होने लगती है। यह पुस्तक सर्वेक्षण के आधार पर सामुदायिक परिवेश में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के अन्तर्वस्तु को न केवल तथ्यात्मक रूप से प्रदर्शित करता है वरन् इसके विश्लेषण के पश्चात् नियोजन की प्रकृति में सामाजिक परिवर्तन करके निर्धारित तथा आपेक्षित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। पुस्तक पूर्ण रूप से प्राथमिक तथ्यों पर आधारित है किन्तु इसमें तुलनात्मक तथा ऐतिहासिक विवरणों को विश्लेषण के रूप में दिया गया है जिससे कि तथ्यपरक सूचनाएँ वर्तमान की प्रत्यक्ष प्रस्थिति को प्रदर्शित कर सके।

यह पुस्तक कुल छः अध्यायों में विभक्त है जिसने प्रथम अध्याय के अन्तर्गत बेरोजगारी के विविध परिणामों की चर्चा विषय सम्बोध के रूप में किया गया है। जबकि द्वितीय अध्याय के अन्तर्गत पूर्ववर्ती साहित्यों तथा योजनाओं का मूल्यांकन करते हुए विषय-वस्तु की उपादेयता को क्रमागत रूप में दिया गया है। तृतीय अध्याय के अन्तर्गत अनुसूचित जाति की शिक्षित महिलाओं की सामुदायिक स्थिति को सामाजिक-आर्थिक तथा जीवनशैली के क्रम रूप में दिया गया है। चतुर्थ अध्याय ग्रामीण समाज के अन्तर्गत अनुसूचित जाति की शिक्षित महिलाओं एवं बेरोजगारी के कारणों का उल्लेख उनकी अनुभवजन्यता के आधार पर किया गया है जिससे कि सामाजिक परिवेश में उन प्रत्यक्ष कारणों को रेखांकित किया जा सके। जिससे कि बेरोजगारी की समस्या शिक्षा के पश्चात् भी निरन्तर बनी हुई है।

पुस्तक में पंचम अध्याय के अन्तर्गत सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रमों के प्रभावों का मूल्यांकन बेरोजगारी निराकरण के सन्दर्भ में किये जाने वाले कारकों के रूप में किया गया है। पुस्तक का षष्ठ अध्याय निष्कर्ष के रूप में दिया गया है जो कि समाहार को व्यक्त करता है।

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