हीरा एक अद्भुत पदार्थ है। एक ओर तो बड़े-बड़े राजाओं और महाराजाओं को हीरे ने आकर्षित किया है। दूसरी ओर महान वैज्ञानिक जैसे न्यूटन, आइंसटाइन, रामन आदि ने भी इसके अध्ययन में रूचि दिखाई। भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर चन्द्रशेखर वेंकट रामन ने कई वर्षों तक हीरे पर विभिन्न प्रकार के अध्ययन किये। अपने एक संस्मरण में उन्होंने लिखा है 'हीरा एक विशेष रूप से दिलचस्प तथा महत्वपूर्ण पदार्थ है'। इस दिलचस्प पदार्थ के बारे में जानने की इच्छा जन साधारण में है। परन्तु हीरे के बारे में कोई पुस्तक हिन्दी में उपलब्ध नहीं है जो सरल भाषा में वैज्ञानिक ज्ञान दे। स्कूल के बच्चों से बात करने पर मुझे उनकी गहरी दिलचस्पी का पता चला। मैं भी पिछले कई वर्षों से हीरे के अध्ययन में लगा हूं। मैं जितना अधिक इस पदार्थ का अध्ययन करता हूं उतनी ही अधिक मेरी इसके प्रति रूचि बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे इस पदार्थ के रहस्यों को समझता जा रहा हूं उतना ही मेरा आनन्द बढ़ता जा रहा है। इस पुस्तक के माध्यम से मेरा उद्देश्य जनसाधारण तक वह ज्ञान पहुंचाकर उनको भी उस आनन्द में सम्मिलित करना है।
हीरा आखिर है क्या ? वास्तव में यह क्रिस्टलीय रूप में कोयला या कार्बन ही है। कोयले का एक और क्रिस्टलीय रूप है जिसे ग्रेफाइट कहते हैं। अब प्रश्न उठता है ग्रेफाइट और हीरा दोनों ही कार्बन तत्व के क्रिस्टलीय रूप हैं तो दोनों एक दूसरे से इतने भिन्न क्यों दिखाई देते हैं? अर्थात् उनके गुणों में इतनी असमानता क्यों है? एक राजा भोज है तो दूसरा गंगू तेली। एक सस्ता मुलायम काला कोयला और दूसरा चमकदार मणि। अवश्य ही यह उनकी भीतरी बनावट के कारण है। वैज्ञानिकों ने एक्स रे द्वारा इस भीतरी बनावट अर्थात् संरचना का पता लगाया है। प्रकृति ने हीरे में कार्बन परमाणुओं को एक विशेष रूप से सजाया है और इन परमाणुओं के बीच का परस्पर बंधन बहुत मजबूत है। ग्रेफाइट में कार्बन के परमाणु एक दूसरी तरह से सजाये गये हैं। इनकी संरचना के कारण दोनों के गुणों में इतनी असमानता है।
हीरे में कई असामान्य गुण हैं। सर्वप्रथम अभी तक ज्ञात पदार्थों में, हीरा सबसे अधिक कठोर पदार्थ है। हीरे पर किसी पदार्थ से खरोंच नहीं डाली जा सकती। हीरा केवल हीरे से ही खरोंचा या घिसा जा सकता है। दूसरी बात कमरे के तापमान पर हीरे पर रासायनिक पदार्थों का बहुत कम प्रभाव पड़ता है, यहां तक कि यह हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में भी नहीं घुलता। तीसरी बात कमरे के तापमान पर हीरा बहुत अधिक विद्युतरोधी होता है। किन्तु साथ ही यह ऊष्मा का बहुत अच्छा चालक है। वास्तव में हीरा तांबे से लगभग 6 गुना अधिक ऊष्मा चालक है। साधारणतया जो पदार्थ विद्युत के अच्छे चालक होते हैं वे ही ऊष्मा के अच्छे चालक होते हैं। परन्तु हीरे में परस्पर विरोधी गुण विद्यमान हैं। हीरा ही एक ऐसा पदार्थ है जो इतना अधिक विद्युतरोधी तथा सर्वश्रेष्ठ ऊष्मा चालक है। अतएव हीरा इलेक्ट्रानिक उद्योग की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
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