Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

प्राचीन भारतीय लोकधर्म- Ancient Indian Folk Religion

$36
Specifications
HBG841
Author: Vasudevsharan Agrawal
Publisher: PRITHIVI PRAKASHAN, VARANASI
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9788195542178
Pages: 186
Cover: PAPERBACK
8.5x5.5 inch
270 gm
Delivery and Return Policies
Usually ships in 3 days
Returns and Exchanges accepted with 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description
प्रकाशकीय
प्राचीन भारतीय लोकधर्म, वि.सं. 2021 (सन् 1964) को ज्ञानोदय ट्रस्ट अहमदाबाद द्वारा प्रथम वार प्रकाशित हुआ। तथा वितरण पृथिवी प्रकाशन द्वारा हुआ। यह हमारे लिये हर्ष का विषय है कि इतने वर्षों के पश्चात् इस अनूठे ग्रन्थ का पुनः प्रकाशन हमारे द्वारा किया जा रहा है।

प्रस्तुत ग्रन्थ में मूर्धन्य शिरोमणि ज्ञानमूर्ति आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल जी ने भारतीय लोकधमों की रूपरेखा का विस्तृत वर्णन किया है। वस्तुतः उन्होंने वेदोक्त धर्म के द्वारा लोकधर्म की तथा लोक के द्वारा वैदिक धर्म की सिद्धि करने का अद्भुत कार्य किया है।

इस ग्रन्थ में 15 अध्याय हैं जिनमें उन्होंने वैदिकदेवता और लोक-देवता, लोकदेवताओं की सूचियाँ, भागवत् साहित्य में लोक देवता, प्राकृत ग्रन्थ में देवी-देवताओं की सूचियाँ, पुराणों में देवी-सूची, धनुर्मह, गिरिमह, इन्द्रमह, नदीमह, खन्दमह, रुद्रमह, नागमह, वृक्षमह, सागरमह, दरीमह, स्तूपमह, चैत्यमह, मुकुन्दमह, श्री देवता की पूजा, यक्षमह इत्यादि को पारिभाषित किया है। इसके अतिरिक्त शिवमह, वैश्रवणमह, भूतमह, तडागमह, पर्वतमह, उद्यानमह, धनुर्मह, काममह, ब्रह्ममह, चन्द्रमह आदि का सङ्केत भी विभिन्न स्रोतों को आधार बना कर किया है।

ज्ञानमूर्त्ति आचार्य वासुदेवशरण अठावाल वेद, उपनिषद्, स्मृतिशास्त्र, पुराण, रामायण, महाभारत आदि संस्कृत वाङ्मय के मूर्धन्य विद्वान् तो रहे ही हैं; इसके अतिरिक्त भारतीय पुरातत्त्व, भारतीय कला, पालि, प्राकृत साहित्य, तिब्बती के साथ-साथ संग्रहालय प्रबन्धन के भी कार्यकुशल ज्ञाता रहे हैं।

वर्त्तमान में पृथिवी प्रकाशन वाराणसी द्वारा इनके ग्रन्थ प्रकाशित किये जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख है|

आनन्द और आभार
भारत में अनेक विद्याओं और शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन तथा नव-नव प्रणयन बहुत पुराने समय से प्रचलित था, परन्तु पश्चिम के संसर्ग के बाद इस विद्या-प्रणाली में एक नई दिशा खुली। पुराने शास्त्रीय विषयों के अध्ययन-अध्यापन तथा संशोधन की नक्तर प्रवृत्ति के साथ-साथ अनेकविध नई विद्याशाखाओं का भी जन्म हुआ। और पहिले जिन विषयों के अध्ययन आदि का पता न था, या नाममात्र का पता था, उन विषयों के व्यवस्थित शास्व भी बनने लग गये और बने। पिछले लगभग सवा सौ वर्ष के भीतर भारत में एक ऐसी संशोधनलक्षी विद्याप्रवृत्ति शुरू होकर विकसित हुई है, जिसकी ओर देश-विदेश के सभी उच्च-कोटि के विद्वानों का लक्ष जाता है।

यद्यपि इस नवतर विद्याप्रवृत्ति का बीजवपन प्रधान रूप से पाश्चात्य विद्वानों ने किया है, पर फलस्वरूप भारतीय विद्यामानस भी इसमें बहुत रस लेने लगा, जिससे भारतीय पुरातन विद्यासंस्कार पुरानी प्रणालियों के साथ-साथ इस नवतर प्रणाली की भी उपासना करने लगा। इस उपासना के परिणामस्वरूप भारत में जुदे-जुदे क्षेत्र में, जुदे-जुदे विषयों पर, सोचने और लिखने वाला एक खासा वर्ग अस्तित्व में आया। इस वर्ग के सभी विद्वान् समान कोटि के नहीं हैं, फिर भी उसका एक हिस्सा ऐसा अवश्य है कि जिसके नाम और काम से दुनियाभर के सुविद्वान् प्रभावित हैं। डॉ० वासुदेव शरणजी का स्थान ऐसे विरल विद्वानों की अग्रिम पंक्ति में है। उनका संस्कृतज्ञान याचितकमण्डन नहीं है, अतएव प्राकृत-पालिभाषा का परिचय भी उनका मूलगामी है। वे वेद, उपनिषद्, पुराण आदि वैदिक समग्र वाङ्मय के अवगाहनशील विद्वान् तो हैं ही, पर साथ ही उन्हें जैन और बौद्ध वाङ्‌मय का परिचय भी पर्याप्त है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories