पुस्तक के विषय में
आनंदमठ, यानि बांग्ला के विख्यात उपन्यासकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का वह कालजयी उपन्यास, जिसने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में लाखों करोड़ों हृदयों को आंदोलित किया और सहस्त्रों युवक युवतिओं को अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की प्रेरणा दी | उल्लेखनीय है की इसमें प्रयुक्त 'वंदेमातरम' गीत क्रांति का बीजमंत्र तो बना ही, आसेतु हिमालय एक विशिष्ठ अभिवादन के रूप में भी स्वीकारा गया | इसके बावजूद सन १९२० के बाद भारतीय राजनीती में उबहरे गए हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक विद्वेष ने 'स्वाधीनता के इस जीवन वेद' को भी अपनी चपेट में लिये बिना नही छोड़ा |
कथावस्तु के नाते यह उपन्यास १७७०-७१ के दौरान उतरी बंगाल में पड़े भयानक दुर्भिक्ष की पृष्ठभूमि में ऐतिहासिक संन्यासी विद्रोह की महागाथा है | प्रेम, त्याग, करुणा और बलिदान जैसे मानवीय गुणों से ओत प्रोत यह कथाकृति अपनी ज्वलंत सामाजिक चेतना और राष्ट्रिय भावना के लिये हमें आज भी झकझोरने में समर्थ है | इसके अतिरिक्त इस संकरण का दस्तावेजी महत्त्व भी है | यहां इसे न सिर्फ इसके मूल पाठ, अर्थात विवादास्पद अंशों सहित प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इससे जुड़ें ऐतिहासिक विवाद को विश्लेषित करने वाले दो महत्त्वपूर्ण लेख भी इसमें शामिल किए गए है |
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