जगद्वरु आदि शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में चार आध्यात्मिक पीठों की स्थापना की थी और दशनामी संन्यास परंपरा को दस संन्यासी नामों में विभक्त किया था और हर एक पीठ के साथ इन संन्यासी दशनामों को संबद्ध किया गया।
दशनामी संप्रदाय से जुड़े साधु संत शास्त्र और शस्त्र परंपरा पारंगत होते हैं। दशनामी संन्यासी अदम्य साहस और कुशल प्रतिभाशाली नेतृत्व के धनी होते हैं। इस सम्प्रदाय के साघु भगवा वस्त्र धारण करते हैं और गले में रुद्राक्ष की माला पहनते हैं और अपने माथे पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं और शरीर में राख मलते हैं। बहुत से नागा संन्यासी श्मशान साधना के लिए कपाल धारण करने के साथ-साथ श्मशान की राख से भी अपने शरीर का सम्मान करते हैं।
विशेषः प्रो० तिवारी का २०२३ में एक साथ ६१ पुस्तकों का प्रकाशन जो कि एक विश्व कीर्तिमान है।
Hindu (हिंदू धर्म) (12736)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas (वेद) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1911)
Chaukhamba | चौखंबा (3359)
Jyotish (ज्योतिष) (1477)
Yoga (योग) (1096)
Ramayana (रामायण) (1389)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23201)
History (इतिहास) (8280)
Philosophy (दर्शन) (3400)
Santvani (सन्त वाणी) (2584)
Vedanta (वेदांत) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist