पुस्तक के विषय में
आधुनिक हिन्दी-साहित्य के क्षेत्र में सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का सृजन और चिन्तन अपनी अद्वितीय विचार-दीप्ति के कारण अप्रतिम महत्व रखता है। आधुनिक बौद्धिक संवेदन का सूत्रपात करने वाले रचनाकारों में अज्ञेय का नाम शीर्ष पर है। वे ऐसे अन्य रचनाकार हैं जो कविता के अलावा उपन्यास, कहानी, यात्रावृत्त, डायरी, संस्मरण,निबंध, अनुवाद, संपादन-संयोजन में ठहराव को तोड़कर नई राहों के अन्वेषी रहे हैं। अपने समय में शायद ही किसी रचनाकार ने साहित्य और कला तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में इतने प्रयोग किए हों, जितने अज्ञेय ने।
हिन्दी साहित्य का पूरा छायावादोत्तर दौर उनकी प्रयोगधर्मी अवधारणाओं से बहुत दूर तक प्रेरित प्रभावित हुआ हैं 'तारसप्तक' की भूमिका हिन्दी साहित्य में नवीन अवधारणाओं का घोषणा-पत्र कही जा सकती है, जिसने परम्परा, आधुनिकता, प्रयोग प्रगतिष काव्य-सत्य, काव्य-भाषा, छंद, आदि बहसों को पहली बार उठाकर साहित्यालोचन को मौलिक स्वरूप दिया। पहले 'प्रतीक' फिर 'नया प्रतीक' तथा 'वाक्' का संपादन करते हुए उन्होंने अनेक नयी प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर दिया। भारत और पश्चिम के साहित्य-चिन्तन की परम्पराओं का गहन विश्लेषण करने वाले अज्ञेय में एक उजली आधुनिक भारतीयता का निवास है। पुस्तक के लेखक अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ अध्येता हैं, वे अज्ञेय से एकाकार होकर चले हैं।
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