Look Inside

ऐतरेय उपनिषद्- (सृष्टि रचना के पूर्व व पश्चात् का सत्य): Aitareya Upanishad (Truth: Before and After Creation)

$17
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HBA058
Author: Swami Chinmayananda Saraswati
Publisher: CENTRAL CHINMAYA MISSION TRUST
Language: Hindi
Edition: 2022
ISBN: 9788175974531
Pages: 148
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5x5.5 inch
Weight 170 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
प्रस्तावना

हम सभी को ज्ञात है कि हमारे प्राचीन साहित्य का एक बहुत बड़ा भाग लुप्त हो चुका है। वैदिक साहित्य की लगभग ११८० शाखाएँ थीं। ऐसी मान्यता है कि इनमें से प्रत्येक शाखा का अपना एक उपनिषद् था। अभी तक लगभग २८० उपनिषद् प्रकाश में आ चुके हैं। इनमें से १०८ उपनिषदों को प्रामाणिक माना जाता है। इनमें से भी ग्यारह उपनिषदों को विशेष माना गया है, जो इस प्रकार हैं ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, एतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर। इन पर क्रमशः श्री शंकराचार्य, श्री रामानुजाचार्य और श्री माधवाचार्य द्वारा भाष्य लिखे गये हैं। अतः इन्हें 'प्रमुख' या 'प्रधान' उपनिषदों की श्रेणी में रखा गया है। कुछ लोग श्वेताश्वतर के भाष्य को शंकर भगव‌द्याद का भाष्य नहीं मानते। अतः वे केवल दस उपनिषदों को ही प्रमुख मानते हैं।

अन्य उपनिषद् 'गौण' माने गये हैं। इसका आधार इनकी विषयवस्तु या विचारों का गाम्भीर्य अथवा विषय का अपूर्ण प्रतिपादन नहीं है, अपितु इन पर किसी भी बड़े आचार्य के भाष्य का न पाया जाना है। प्रमुख उपनिषदों में से पाँच या छः पर महान् आचायर्यों के विस्तृत भाष्यों का गहन अध्ययन करने के उपरान्त ही प्रायः नये विद्यार्थियों को ये गौण उपनिषद् पढ़ाये जाते हैं। वास्तव में विद्यार्थी द्वारा अर्जित ज्ञान की दृष्टि से इन उपनिषदों को गौण कहा गया है। इन उपनिषदों का अध्ययन पूर्व अर्जित ज्ञान की पुनरावृत्ति ही है।

मोक्ष तथा इसे प्राप्त करने के साधन के प्रतिपादन की दृष्टि से सभी उपनिषद्, चाहे वे प्रमुख हों या गौण, समान रूप से महत्त्वपूर्ण तथा मूल्यवान् हैं। प्रमुख अथवा गौण का विभाजन, श्री शंकराचार्य के भाष्य को प्रमुखता देने की दृष्टि से किया गया है।

भूमिका

हम सभी जानते हैं कि एक तालमेल रहित सूक्ष्मदर्शी यन्त्र या दूरबीन के माध्यम से देखने पर वस्तु और उसकी बारीकियाँ साफ दिखायी नहीं पड़ती हैं। उपकरण का तालमेल जितना अधिक ठीक होगा उतना ही अधिक दृश्य वस्तु का अवलोकन स्पष्ट होगा तथा मूल्यांकन भी सही होगा। इसी प्रकार जब हम तालमेल रहित मन एवं बुद्धि रूपी उपकरण से देखते हैं तो हमें बाह्य जगत् का ज्ञान स्पष्ट नहीं होता है और जीवन का मूल्यांकन भी गलत होता है।

इस दृष्टि से यदि हम मन और बुद्धि की कार्यप्रणाली की तुलना एक साधारण दूरबीन से करें तो हम कह सकते हैं कि हमारा मन उसका 'बाहरी लेंस' है तथा बुद्धि 'आँख के निकट वाला लेंस'। जब तक इन दोनों का आपस में समन्वय ठीक नहीं होता और इनका आपसी सम्बन्ध ठीक से बनाकर नहीं रखा जाता, तब तक इनके द्वारा देखी गई वस्तुओं का सही ज्ञान नहीं होता। इनका तालमेल जितना अधिक सही होगा उतना ही इनके माध्यम से देखने पर हमारी दृष्टि स्पष्ट होगी।

आध्यात्मिक क्रियाओं के चार प्रमुख मार्गों भक्ति, कर्म, ज्ञान एवं हठयोग में से किसी एक या दो, या चारों के साथ अपने मन को समन्वित कर जीवन जीने वाले व्यक्ति को 'जीवन को पूर्णरूप' में देखने की अधिक गहन और स्पष्ट दृष्टि प्राप्त हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को अनुचित उत्साह अपने से दूर नहीं ले जाता और ना समसामयिक पीढ़ी की व्यर्थ की कल्पनाओं का वह शिकार बनता है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories