प्रकाशित कहानी संग्रह: पाँच फुट दस इंच
रचनाएँ : हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ तथा आकाशवाणी से प्रसारित हैं।
थियेटर : एक था गधा, अँधेर नगरी चौपट राजा, संकल्प, यह धुआँ कब तक रहेगा, अपनी रोशनी खुद बनो, सुबह का भूला, हम सब एक हैं, मारे गए राम लोटन, जागो रे जागो आदि में अभिनय और निर्देशन।
दूरदर्शन कहानियों पर : पथरीले रास्ते (सीरियल) टेलीफिल्म मेरा हक में अभिनय किया।
फिल्म निर्माण: गैंग (भोजपुरी), पाप की लंका (अवधी), मेरे देश की धरती, डियर फ्रेन्ड (हिन्दी), जय राम जी (हिन्दी, अवधी)।
निर्देशन : पाप की लंका, मेरे देश की धरती, डियर फ्रेन्ड, जय राम जी।
फिल्म : कुसूर, पिया-पिया बोले जिया, बुंलदी, पाप की लंका, मेरे देश की धरती, डियर फ्रेन्ड, जिद्दी आशिक, गैंग, जय माँ विन्धवासिनी आदि।
सम्मान : प्रेमचंद सम्मान, शब्द निष्ठा सम्मान, जनवादी लेखक संघ, श्री राममूर्ति स्मारक बरेली, दिल्ली प्रेस सरिता, स्पेनिन रांची स्मृति सम्मान तथा कथादेश, कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत सेवार्थ फाउण्डेशन, देहात फाउण्डेशन, कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत।
सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन, फिल्म निर्माण।
आज तक मैंने अपने लेखन को वस एक ऐसा काम समझा है जो किया जाना है।
लिखना-पढ़ना कब मेरे जुनून में बदल गया। और मेरा जुनून कब मेरे पागलपन में बदल गया मुझे पता ही नहीं चला। 'आधा आदमी' उपन्यास पूरा हुआ। जैसे लगता है एक सपना पूरा हुआ है। यह उपन्यास मेरे ज़ेहन में मेरी साँसों की तरह हमेशा चलता रहा। वर्षों तक यह मुझे कचोटता रहा।
इस बीच मैंने कई कहानियाँ और फिल्मों के लिए पटकथाएँ लिखी। फिल्में भी बनायी। थियेटर भी किया। बीच-बीच में में किन्नरों से भी मिलता रहा।
उनके बीच सुबह से शाम कब हो जाती मुझे पता ही नहीं चलता। उनकी समस्या, पीड़ा, उनकी क्रिया-कलाप, उनकी भाषा और उनके अन्तरंग जीवन की थाह पाने की कोशिश करता रहा। और रुक-रुककर मैं 'आधा आदमी' लिखता रहा। लिखते-लिखते 17 वर्ष बीत गए। कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता था कि मैं भी उनके बीच का एक हिस्सा हूँ। धीरे-धीरे मेरा मन उनमें रमता गया।
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