दो शब्द
हर्ष की बात है कि काये दिन उतर भारतीयों में, विशेषकर हिन्दी भाषा-भाषियों में दक्षिण की भाषाएँ सीखने की उत्सुकता दिखाई पड़ती है। हम भारतीयों को आनी भाषा के अतिरिक्त जब कभी कोई दूसरी भारतीय भाषा सीखने की इच्छा या आवश्यकता होती है तब अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ता है। यह तो सबको मालूम है कि किसी अन्य भाषा के द्वारा नयी भाषा सीखने मैँ काफ़ी कठिनाई होती है।भारत जैसे एक विशाल देश में जहाँ कई भाषाएँ बोली जाती। हैं, प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है कि बह अपनी भाषा के अतिरिक्त एक दो भारतीय भाषाओ फी जानकारी रखे। ‘बालाजी पब्लिकेशन्स' इस दिशा में स्तुत्य कार्य कर रहा है। 'तीस दिन में सीखो मलयालम' नामक इस पुस्तक के द्वारा हिन्दी भाषी साधे, आसानी से मलयालम भाषा सीख सकेंगे।
आधुनिक भारतीय भाषाऔं में मलयालम साहित्य-सपन्न भाषा है। इसका साहित्य प्रगतिशील है। मलयालम के कुछ साहित्यकार विश्वविख्यात हुए हैं और उनमे रचनाओं का अनुवाद संसार की प्रमुख भाषाओं में हुआ है। अपनी सरल वाक्य रचना के कारण मलयालम सीखने में किसी को कोई विशेष कठिनाई नही होगी। मलयालम ने जितने तत्सम शब्द अपनाये हैं उतने शायद किसी दक्षिण को भाषा ने नहीं अपनाये होंगे। हिन्दी औरसंस्कृत में जितने वर्ण हैं वे सारे वर्ण (अक्षर) मलयालम में भी हैं। अलावा इसके कुछ और वर्ण भी हैं जो तमिल में हैं। पाठकों से प्रार्थना है कि उन सूचनाओं की ओर ध्यान दें जो यत्र तत्र दी गयी हैं। यदि वे इस पुस्तक को आदि से अंत तक ध्यान से पढेंगे तो मेरा विश्वास है एक महीने कै अन्दर वे मलयालम का साधारण ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे और इस भाषा में विचार विनिमय केर सकेंगे। मेरा दृढ विश्वास है कि भारतीय एकता को सुदृढ बनाने के उद्देश्य से प्रकाशित को गयी इस पुस्तक का हिन्दी भाषी सहर्ष लागत करेंगे।
केरल, उसकी भाषा तथा साहित्य
प्राकृतिक सौन्दर्य से अनुग्रहीत देश है, केरल। विदेशियों का कहना है कि वह भारत का उद्यान है। पहाडी, तराइयों नदियों खाडियों खेतों तथा नालों से भरा देश है, केरल। जहां देखो ऐसी जगहें दिखाई देती हैं जहाँ धनी आबादी हो।
केरल के आधिक लोग शिक्षित है। केरलवासी सफाई के लिए काफी मशहूर है। केरल एक ऐसा राज्य है जो औद्यौगिक दृष्टि मैं काफी प्रगति नहीं कर सका। केरलवासियों की भाषा ही मलयालम है। इसलिए केरलवासी मलयामी नाम से पुकारे जाते हैं।
मलयालम द्राविड परिवार की एक भाषा है। पुराने ज़माने में 'मलयालम' शब्द देश के लिए प्रयुक्त होता था कुछ काल के पहले ही इस भाषा को मलयालम नाम पड़ा था । मलयालम भाषा की उत्पत्ति के संबन्ध में विद्वानों में मतभेद हैं। यह माना जाता है कि मलयालम वह बोली है जो ईसवीं आठवीं सदी की मध्य कालीन तमिल से अलग हो गयी थी। इस प्रकार अलग हो जाने के, सामाजिक, राष्ट्रीय, भौगोलिक आदि कई कारणबताये जाते है।
तुञ्चतु एषुत्तच्छन को, जो आठवीं सदी में जीवित थे आज की मलयालम भाषा के जन्मदाता मानने हैं । उनकी प्रसिद्ध रचना रामायण तथा महाभारत में केरल की भाषा को आज के रूप में देख सकते हैं । संस्कृत साहित्य के अनुकरण में मलयालम में अनेकों कृतियाँ रत्ती गयी है। शायद ही कोई कलारसिक हो जो कथकली के संबंध में न जानता हो। किन्तु यह बहुत- से लोग नहीं जानते होंगे कि इस कथकली की अपनी एक विशिष्ट साहित्य विधा है। इनके अतिरिक्त 'तुळ्ळल साहित्य' नामक एक पद्य शाखा भी मलयालम में है।
सबसे प्रगतीशील रचनाओं के कारण मलयालम यह गर्व कर सकती है कि भारतीय भाषाओं में इसका श्रेष्ठतम स्थान है। मलयालम के कुछ लेखक तो सारी दुनिया में प्रसिद्ध हुए हैं । यह कहना ठीक होगा कि मलयालम में उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, भावगीत आदि साहित्य के विभिन्न विद्याओं को पूर्ण विकास हो गया हैं। निस्सन्देह यह कह सकते हैं कि मलयालम साहित्य भारतीय साहित्य के लिए कई उत्कृष्ट रचनाएँ भेंट कर सका है। प्रकाशक का वक्तव्य
हम विनम्र हाकर यह कहना चाहते हैं कि विभिन्न भाषाऔं के प्रकाण्ड पण्डितों अथवा भाषा वैज्ञानिकों को उपयोगी सिद्ध हो, इस दृष्टि से यह पुस्तक-माला प्रकाशित नहीं करते । हमारी यही कामना है कि साधारण जनता इसे पढ़कर अपनी भाषा के अतिरिक्त एक और भाषा सीख ले जिससे भारतीय एकता की कडी ओंर भी सुदृढ हो जाय।
हिन्दी भाषा का, भारत के कोने कोने में तो प्रचार हो रहा है। यह सुनने में आ रहा है कि हिन्दी भाषियों में भारतीय भाषाएँ, विशेषकर दक्षिण की भाषाएँ सीखने का बड़ा उत्साह है । किन्तु उन्हें उनकी पसन्द की भाषा सिखानेवाली कोई संस्था नहीं है! हमने इस समस्या को अपने ढंग से सुलझाने का निश्चय किया । हमारी पुस्तक-माला की ऐसी पुस्तकें उन्हें उपयोगी सिद्ध होंगी जो अपनी भाषा के अलावा कोई दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं । यदि पाठक-गण अपनी फुरसत के समय इन पुस्तकों में दिये गये पाठों का अध्ययन करेंगे तो हमारा विश्वास है कि तीस दिन में वे एक नयी भाषा का साधारण ज्ञान पा सकेंगे।
'तीस दिन मैं सीखो मलयालम' हमारी पुस्तक-माला का एक 'सुमन' है । जो हिन्दी भाषी मलयालम सीखना चाहतेहैं उन्हें यह पुस्तक भार्गदर्शिका सिद्ध होगी, इस विश्वास के साथ हम इसे हिन्दी-बँधुओं के समक्ष रखते हैं। आशा है कि इस पुस्तक का समुचित स्वागत होगा और हमें उचित प्रोत्साहन मिलेगा।
विषय-सूची
वर्णमाला
1
स्वर
17
व्यंजन
18
2
स्वर चिह्न
20
3
संयुक्ताक्षर
31
शब्द
4
दो अक्षरों वाले शब्द
33
5
तीन अक्षरों वाले शब्द
34
6
संज्ञाएँ
37
7
सर्वनाम
39
8
क्रियाएँ
41
9
शरीर के अंग
46
10
स्थान
49
11
समय
50
12
दिनों के नाम
52
13
महीने
53
14
दिशाएँ
54
15
प्रकृति और ऋतुएं
56
16
परिवार
58
घर के बारे में
60
खाद्य वस्तुएँ
62
19
तरकारियाँ
65
फल
67
21
संख्याएँ
68
22
माप
71
23
मन के भाव
72
24
रंग
74
25
पक्षी
75
26
जानवर
76
27
धातुएँ
78
28
उद्योग
79
29
पेशेवर
80
30
शिक्षा
82
विवाह
84
32
डाक
86
न्यायालय
87
राजनीति
88
35
युद्ध
90
36
समाचार पत्र
91
नित्योपयागी शब्द
92
वाक्य
38
दो शब्दों वाले वाक्य
95
तीन शब्दों बाल वाक्य
98
40
प्रश्रवाचक शब्द
101
प्रश्रार्थक वाक्य
102
42
विधि वाक्य
104
43
105
44
रेल की यात्रा में
106
45
स्टेशन में कुली से बातचीत
113
टैक्सी वाले से वार्तालाप
115
47
एक, अपरिचित सें बातचीत
119
48
फलों की दूकान में
123
एक विद्यार्थी से बातचीत
126
कसरत के फायदे
131
व्याकरण
51
कारक
135
उदाहरण वाक्य
137
सर्वनामों के कारक रूप
141
विशेषण
147
55
क्रिया और काल वर्तमान काल
भूतकाल
151
57
भविष्यत् काल
152
तीनों कालों में कुछ क्रियाओं के रूप
59
वर्तमानकाल के उदाहरण वाक्य
161
भूतकाल के उदाहरण वाक्य
162
61
भविष्यत् काल के उदाहरण वाक्य
163
नकारात्मक रूप
164
63
नकारात्मक रूप के उदाहरण वाक्य
165
64
अभ्यास
166
मेरा गाव
168
66
हाथी
169
भेडिया और मेमना
170
चिट्टी पत्री (मलयालम)
173
69
चिट्टी पत्री (हिन्दी)
174
70
केरल, उसकी भाषा तथा साहित्य (मलयालम)
175
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