3 Books on Kazi Nazrul Islam in Hindi

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This set consists of 3 titles:

  1. वाग्गेयकार काज़ी नज़रुल इस्लाम - Vaggeyakaar Kazi Nazrul Islam
  2. शब्द और सुर का संगम (काज़ी नज़रूल इस्लाम): Kazi Nazrul Islam (The Confluence of Word and Rhythm)
  3. विद्रोही काजी नजरुल इस्लाम- Rebel Kazi Nazrul Islam
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Item Code: BKNA310
Publisher: Pilgrims Publishing, National Book Trust, India, Gautam Book Center, Delhi
Author: Deboshri Roy, दान बहादुर सिंह (Dan Bahadur Singh), S.S. Gautam and R.M.S. Vijayi
Language: Hindi
ISBN: 9789350760093, 9788123751955, 9789380292373
Pages: 363
Cover: Paperback and Hardcover
Weight 560 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
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विद्रोही काजी नजरुल इस्लाम- Rebel Kazi Nazrul Islam








शब्द और सुर का संगम (काज़ी नज़रूल इस्लाम): Kazi Nazrul Islam (The Confluence of Word and Rhythm)

पुस्तक के विषय में

आधुनिक बांग्ला काव्य एवं संगीत के इतिहास में काजी नज़रुल इस्लाम निस्संदेह एक युग स्थापित कर गए। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ के बाद 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक में केवल वही एक निर्भीक और सशक्त रचनाकार रहे हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा के परिप्रेक्ष्य में अनेक मौलिक एवं अनूदित साहित्य जैसे-उपन्यास, लघुकथा, नाटक, निबंध, अनुवाद और पत्रकारिता आदि प्रकाशित हुए। उन्होंने बाल साहित्य भी लिखा, कुशल गायक व अभिनेता भी रहे । नज़रुल जीवनपर्यन्त राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सदभाव के आधार-स्तंभ रहे । यह पुस्तक काजी नज़रुल इस्लाम के काल की विषम परिस्थितियों का आकलन करते हुए इस महान चितेरे की शाश्वत और मानवीय मूल्यों से आर्त्त बहुमुखी प्रतिभा की झलक प्रस्तुत करती है । दानबहादुर सिंह (29 जुलाई 1940) कई भाषाओं के जाता हैं । वे कई वर्षों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा आकाशवाणी के लिए साहित्य सृजन करते रहे हैं ।

उपोद्घात

भारतीय वाड्मय उस महासागर की तरह विस्तीर्ण और अतल है जिसमें नाना नाले एवं नदियां अपने अस्तित्व को भुलाकर एक साथ विलीन हौ जाते हैं और छोड़ जाते हैं अनंत हीरे, मोती और अन्यान्य बहुमूल्य रत्न, जिनका मू्ल्य सहज रूप में आका नहीं जा सकता । विविध भाषाओं के इंद्रधनुषी आकाश में बांग्ला साहित्य का अवदान संभवत: सर्वाधिक वैशिष्ट्यपूर्ण और सत्यम् शिवम् सुंदरम् सै विभूषित है । उसे साहित्य और संगीत की युगलबंदी से जिन प्रख्यात कवियों और साहित्यकरों ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, उनमें प्रात: स्मरणीय महाकवि काज़ी नज़रुल का नाम चिरस्मरणीय रहेगा ।

वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । आधुनिक बांग्ला काव्य एवं संगीत के इतिहास में नज़रुल निस्संदेह एक युग स्थापित कर गए और राक संस्था बनकर जिए । 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक में केवल वही एक सशक्त एवं निर्भीक कवि थे । रवीन्द्रनाथ के बाद वर्तमान शताब्दी में एकमात्र सर्वाधिक जनप्रिय कवि नज़रुल ही थे ।

प्रथम युद्धोपरांत आधुनिक बांग्ला काव्य मैं रवीन्द्र काव्य एकमात्र वैयक्तिक चेतना और पाण्डित्य की देन कहा जा सकता है । इसी युग में पराधीन समस्या-पीड़ित तथा द्वंद्व-जर्जरित बांग्ला देश की स्वाधीनता के लिए विद्रोह, नैराश्य इत्यादि नाना प्रकारेण भारत की पक्षधरता को रूपायित करने में उनका काव्य बेजौड़ सिद्ध हुआ है । नज़रुल बांग्ला देश के अन्यतम श्रेष्ठ चारण कवि थे । वर्तमान युग मैं एक गीतकार एवं सुरकार के रूप में वही सर्वोच्च स्थान के अधिकारी हैं । उनकी बहुमुखी प्रतिभा के परिप्रेक्ष्य में अनेक मौलिक एवं अनूदित साहित्य जैसै-उपन्यास, लघुकथा, नाटक, निबंध, विदेशी काव्यों का अनुवाद और पत्रकारिता आदि प्रकाशित हुए। वह अपने युग के एक सिद्ध कुशल गायक और अभिनेता भी थे । रवीन्द्रनाथ को छोड़कर इस प्रकार की बहुमुखी प्रतिभा और किसी में भी नहीं थी ।

नज़रुल इस्लाम 1942 कै अगस्त विप्लव में एक दुस्साध्य गन से आक्रांत हो गए और उसके बाद उनकी लेखनी सदा के लिए निष्क्रिय हो गई । प्रथम महायुद्ध के बाद अगस्त आदोलन के आरंभ तक नज़रुल की प्रतिभा ने किसी विशिष्ट साहित्य की सृष्टि नहीं की । इसी युग में बांग्ला देश का स्वाधीनता संग्राम आरंभ हुआ । इन्हीं संघर्षों के बीच उनका साहित्य, संगीत और शिल्प इत्यादि अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचे । लेकिन नज़रुल इस्लाम के साहित्य और संगीत के संदर्भ में तत्त्वमूलक और तथ्यपूर्ण विस्तृत आलोचना के क्षेत्र में बहुत थोड़े-से समीक्षक उभरकर सामने आए । दुःख का विषय है कि ये समस्त आलोचनाएं प्राय: एकांगी निकलीं । ये युक्तिसंगत नहीं थीं ।

द्वितीय महायुद्ध के उपरांत नज़रुल के साहित्य का पठन-पाठन आरंभ हुआ । उन्हीं दिनों उनके अत्यंत निकटस्थ मित्रों ने उनके बारे में कुछ समीक्षाएं छपवाई । यहां यह बात उल्लेखनीय है कि यद्यपि महाकवि काजी नज़रुल इस्लाम को अंग्रेजी साहित्य का उतना प्रगाढ़ बोध नहीं था, तथापि उनकी अंतश्चेतना इतनी विलक्षण थी कि अंग्रेजी का अल्पबोध होते हुए भी उनके कई पुराने कवियों की रचनाओं से उनकी रचनाएं मिलती-जुलती हैं और उनमें काव्य का एक नूतन सौष्ठव एवं स्वरूप झांकता है ।

नज़रुल के जीवन और प्रतिभा की आलोचना, 20वीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध के साहित्य और संगीत के मेलजोल से इतिहास की रचना के लिए एक नया द्वार खुला । कुछ लोगों ने इन आलोचकों को बड़े ध्यानपूर्वक देखा, लेकिन फिर भी उससे नज़रुल की प्रतिभा का सही-सही मूल्यांकन नहीं हो सका । धीरे-धीरे नज़रुल ने दो विशिष्ट पत्रिकाओं का संपादन आरंभ किया । वे थीं- 'नवयुग' और 'धूमकेतु' । किंतु नज़रुल की संपूर्ण रचनाओं का कहीं भी कोई ब्योरा तिथिवार नहीं मिलता। बीच-बीच में ऐसे कुछ मोड़ आए जिससे उनका काव्य और संगीत अपने प्राकृत स्वरूप को खो बैठा ।

यदि किसी को नज़रुल की संपूर्ण रचनाओं का विधिवत् अध्ययन करना है तो वह पश्चिमी बंगाल में स्थित बालीगंज के पुस्तकालय को देखे । इसी में उनकी संपूर्ण रचनाएं संभालकर रखी हुई हैं।

उनका गौरवगान गाने वाले बांग्ला साहित्य के अनेक लेखक और कवियों ने अट्ने पूरे प्रयास किए। उनमें प्रमुख रूप से डॉ. आशुतोष भट्टाचार्य, डी. जगदीश भट्टाचार्य और डी. साधन कुमार भट्टाचार्य के नाम उल्लेखनीय हैं।

इस ग्रंथ की रचना में काजी नज़रुल इस्लाम से संबंधित अनेक ग्रंथों का आद्योपांत अध्ययन एवं मनन किया गया है । उनसे यथोचित सहायता भी ली गई है । लेखक उन सबका आभारी है।

इस ग्रंथ के प्रणयन में मुझे जिनसे सतत सहयोग मिलता रहा है, उनमें मेरी पत्नी श्रीमती शोभा देवी, बेटी श्रीमती सुनीता देवी, ज्येष्ठ पुत्र चि. डॉ. सत्य प्रकाश सिंह, चिरंजीव कैप्टन इंदु प्रकाश सिंह और कनिष्ठ पुत्र चिरंजीव शील प्रकाश सिंह सम्मिलित हैं । इन सबने इसे देखने और संवारने में भरपूर हाथ बंटाया है ।

अंतत: यदि इसके प्रणयन में कहीं किसी प्रकार की कोई भूल-चूक हो गई है अथवा कोई अप्रासंगिक बात कह दी गई है तो लेखक उसके लिए क्षमा-याचना करता है । वह उन सभी सहृदय विद्वानों का समादर भी करेगा जो इसे आद्योपांत पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से इसके संशोधन में हाथ बंटाएंगे ।

 

अनुक्रम

1

उपोद्घात

नौ

2

नज़रुलयुगीन परिस्थितियां

1

3

नज़रुल का जीवन-दर्शन

15

4

नज़रुल का काव्य-शिल्प

47

5

नज़रुल : एक अनुवादक

87

6

नज़रुल : एक बाल साहित्यकार

95

7

नज़रुल एक पत्रकार

105

8

नज़रुल के सुर और गीत

113

9

नज़रुल के उत्तरवर्ती कवियों का काव्य-शिल्प

125

10

नज़रुल के ग्रंथों की सूची

137

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वाग्गेयकार काज़ी नज़रुल इस्लाम - Vaggeyakaar Kazi Nazrul Islam











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