Look Inside

आधुनिक पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तक: शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में सत्र 2022-2023 से अनुमोदित एकमात्र पाठ्य पुस्तक- Modern Western Political Thinkers: The Only Textbook Approved from Session 2022-2023 in Compliance with Education Policy 2020

FREE Delivery
$21.75
$29
(25% off)
Quantity
Delivery Usually ships in 3 days
Item Code: HBD708
Author: Shilpa Tripathi
Publisher: Rudra Publication, Delhi
Language: Hindi
Edition: 2023
ISBN: 9788196042134
Pages: 454
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5x5.5 inch
Weight 542 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
पुस्तक परिचय

राजनीतिक चिंतन का उदय शून्य से नहीं होता। उस पर सम-सामयिक समस्याओं तथा विचारों का प्रभाव अवश्यम्भावी है। ऐसे प्रभाव की मात्रा में अन्तर हो सकता है, किंतु कोई भी चिंतक यह दावा नहीं कर सकता कि वह इनसे पूर्णतया मुक्त है। यदि कोई ऐसा दावा करता है तो यह उसका निराभ्रम ही नहीं, अपितु निश्चित रूप से प्रमाद है। प्रस्तुत पुस्तक में पाश्चात्य और साम्यवादी दोनों ही विचारधाराओं से असंलग्न रहते हुए इन सभी की मूल प्रवृत्तियों का समावेश किया गया है। पुस्तक में आधुनिक पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तन की समकालीन प्रवृत्तियों को उनके ऐतिहासिक-सामाजिक सन्दर्भ में रखकर समझने का प्रयत्न किया गया है। लेखिका ने आधुनिक पाश्चात्य राजनीतिक सिद्धान्तों का व्यापक एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण से समन्वयात्मक, संश्लिष्ट और संतुलित रूप में अध्ययन करने का प्रयास किया है। आलोचनात्मक अध्ययन का दृष्टिकोण सर्वथा मूल्यनिरपेक्ष है, ऐसा लेखिका का दावा नहीं है, और किसी भी विचारशील लेखक से इस प्रकार की मूल्य निरपेक्षता की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती। प्रस्तुत पुस्तक पुनर्जागरण के युग के महान मनीषी मैकियावेली से प्रारंभ कर मार्क्स के क्रांतिकारी सिद्धांतों का विश्लेषण करती है।

लेखक परिचय

शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करने वाली, राजनीतिक चिंतक के रूप में चर्चित, प्रगतिशील विचारों की संवाहक प्रोफेसर शिल्पा त्रिपाठी का जन्म काशी की पावन धरती पर हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा बी.एच.यू. वाराणसी में ही संपन्न हुई। 1992 में पी- एच.डी. की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात, वे सतत शैक्षणिक संस्थाओं में अपना सम्यक योगदान प्रदान करती रही। 2002 से अद्यतन वे दयानंद एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। उनके 50 से अधिक अनुसंधान पत्रक प्रतिष्ठित अनुसंधान पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर की अनेक संगोष्ठियों व कार्यशालाओं एवं परीक्षाओं का आयोजन किया है। इसके अतिरिक्त प्रो. त्रिपाठी ने अनेक संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, अभिनव कार्यक्रमों, पुनश्चर्या कार्यक्रमों, चयन समितियों, निरीक्षण मंडलियों, वैधानिक निकायों आदि में विशेषज्ञ के रूप में प्रचुरता से प्रतिभाग किया है। वे इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय आजमगढ़ केंद्र की समन्वयक भी हैं। शिक्षण करने तथा अनुसंधान कार्य को करने-कराने व परामर्श-निर्देशन देने का उनका दीर्घ अनुभव है। तीन दशकों से अधिक के अपने शिक्षण व अनुसंधान तथा प्रशासनिक कार्य के दौरान अर्जित विविधतापूर्ण अनुभवों के आधार पर उन्होंने इस पुस्तक की रचना की है एवं उदाहरणों उद्धरण व आलेखों से इसे अधिकाधिक समृद्ध बनाने का प्रयास किया है।

प्राक्कथन

विचार और संस्थाएँ किसी चट्टान से अस्तित्व में नहीं आती। वे मानव मन की अभिव्यक्तियाँ हैं। विज्ञान की दुनिया ने साबित कर दिया है कि हर कार्य के पीछे का एक कारण होता है। मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली स्वयं बाहरी दुनिया से प्राप्त दबावों से निर्धारित होती है। प्रत्येक राजनीतिक विचारक के विचारों पर उनके समय काल एवं परिस्थिति का सम्यक प्रभाव पड़ता है।

आधुनिक काल में पाश्चात्य राजनीतिक चिंतन में उन समस्त नैतिक तथा राजनीतिक मूल्यों की पुनः प्राण-प्रतिष्ठा हुई, जिन्हें मध्य काल में, एक प्रकार से, विस्मृत सा कर दिया गया था। व्यक्ति तथा राज्य के पारस्परिक सम्बन्ध, सत्ता तथा स्वतंत्रता के समन्वय एवं राजनीतिक दायित्वों के आधार तथा प्रकृति से सम्बद्ध समस्याओं ने एक बार पुनः राजनीतिक चिंतन में अपना प्राधान्य स्थापित कर लिया। ये समस्याएँ मानव जाति के आदि काल से चिंतन का आधार रही हैं और सम्भवतः उस समय तक रहेंगी, जब तक मानव जाति एवं उसकी शासन व्यवस्था का अस्तित्व कायम रहेगा।

प्रस्तुत पुस्तक ने मैकियावेली जिन्हें अपने युग का शिशु कहा जाता है के विचारों के सम्यक विश्लेषण के साथ अपना सफर प्रारंभ किया तत्पश्चात सामाजिक समझौतावादी सिद्धांत के समर्थक हाब्स, लॉक व रूसो के विचारों का सम्यक विश्लेषण करते हुए उपयोगितावादी विचारक वेंथम एवं मिल की अवधारणा पर समीचीन दृष्टि डाली है। आदर्शवादी विचारकों हीगल एवं ग्रीन के दृष्टिकोणों की उचित व्याख्या करते हुए अंत में मार्क्स के साम्यवादी विचारों का सुस्पष्ट एवं सारगर्भित विश्लेषण किया गया है। पुस्तक की भाषा सरल सुबोध एवं सुगम रखने पर विशेष जोर दिया गया है जिससे पाठक लाभान्वित हो सकें।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories